उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat Congress) के अपनी ही पार्टी के प्रति नाराजगी जताने के बाद राजनीतिक दल सक्रिय हो गए हैं. बीजेपी नेता व उत्तराखंड के पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत ने कहा कि उनके (हरीश रावत) के अपनी ही पार्टी के खिलाफ ट्वीट करना कांग्रेस का बिखराव बयां करता है. हरीश रावत एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हैं, वह जो कुछ भी कहते हैं उसमें कुछ सार होता है… यह उनके दर्द को दर्शाता है जब वे कहते हैं कि उनकी पार्टी के लोग उन्हें दबाने की कोशिश कर रहे हैं, जिस समुद्र में तैरना है, सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं.
बीजेपी नेता ने कहा कि उन्हें (हरीश रावत) कांग्रेस के अंदर के “मगरमच्छों” के नाम बताने चाहिए. जो पार्टी बरकरार नहीं रह सकती, वह चुनाव कैसे लड़ेगी? दरअसल इससे बीजेपी को फायदा होगा. ऐसा लगता है कि हरीश रावत ने पंजाब (हालत) से कुछ सीखा है… जिस तरह से वह अपना दर्द व्यक्त कर रहे हैं, मुझे लगता है कि उन्हें थोड़ा आराम करना चाहिए.
Harish Rawat is a sr Congress leader. Whatever he says has some substance…It reflects his pain when he says that people in his party trying to suppress him. The party which can't stay intact, how will it fight polls? Indeed it will benefit BJP…: Former Uttarakhand CM TS Rawat pic.twitter.com/BcuhfzmMVI
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) December 22, 2021
कांग्रेस में बुरी तरह बिखराव
बीजेपी नेता ने कहा कि कांग्रेस में बुरी तरह बिखराव साफ दिखता है. इसका लाभ निश्चित तौर पर बीजेपी को मिलेगा और बीजेपी फिर अपना परचम लहराएगी. हरीश रावत के मगरमच्छ वाले बयान पर तीरथ सिंह रावत ने कहा कि ये उनका अंदरूनी मामला है. ये तो वही बता सकते हैं, लेकिन अगर हरीश रावत को ऐसा लगता है तो उन्हें उनके नाम भी बता देने चाहिए.
ट्विटर पर छलका अपनी ही पार्टी के खिलाफ दर्द
कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत का ट्विटर पर दर्द छलका. उन्होंने एक के बाद एक तीन ट्वीट किए. उन्होंने लिखा- ‘चुनाव रूपी समुद्र, है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है. जिस समुद्र में तैरना है, सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं. जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं. मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है! फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है कि न दैन्यं न पलायनम् बड़ी उपापोह की स्थिति में हूं, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे. मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे.’
#चुनाव_रूपी_समुद्र
है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। जिस समुद्र में तैरना है,
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