उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में एक दुखद घटना सामने आई है। मऊदरवाजा थाना क्षेत्र के छेदा नगला गांव निवासी 25 वर्षीय दिलीप ने सोमवार रात अपने घर में फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली। मृतक ने अपनी पैंट पर पेन से सुसाइड नोट लिखा, जिसमें पुलिस चौकी में पिटाई और पत्नी व ससुरालियों के सामने अपमान का जिक्र किया गया। इस मामले में पुलिस अधीक्षक (एसपी) डॉ. संजय कुमार सिंह ने दो सिपाहियों, एक कथित भाजपा नेता, मृतक के ससुर और साले के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। दोनों सिपाहियों को लाइन हाजिर भी किया गया है।

पत्नी और ससुरालियों के सामने अपमान से आहत
दिलीप, जो पूर्व बीडीसी रामरहीस राजपूत का बेटा था, का अपनी पत्नी नीरज के साथ पारिवारिक विवाद चल रहा था। नीरज की शिकायत पर मऊदरवाजा चौकी के सिपाहियों ने दिलीप को सोमवार दोपहर चौकी बुलाया। आरोप है कि वहां सिपाहियों यशवंत यादव और महेश उपाध्याय ने दिलीप की पिटाई की और पत्नी व ससुरालियों के सामने उसका अपमान किया। पिता रामरहीस के मुताबिक, सिपाहियों ने 40 हजार रुपये लेकर दिलीप को छोड़ा। इस घटना से आहत दिलीप ने रात में घर लौटकर आत्महत्या कर ली।
मंगलवार सुबह जब परिजन दिलीप के कमरे में पहुंचे, तो उसका शव फंदे से लटका मिला। बड़े भाई प्रदीप ने शव उतारा और पैंट पर लिखा सुसाइड नोट देखा। नोट में दिलीप ने पुलिस और ससुरालियों द्वारा उत्पीड़न का उल्लेख किया था। ग्रामीणों और परिजनों के हंगामे के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया।
मुकदमा और कार्रवाई
एसपी के निर्देश पर सिपाहियों यशवंत यादव, महेश उपाध्याय, कथित भाजपा नेता रजनेश राजपूत, ससुर बनवारी लाल और साले राजू के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेजी जाएगी। परिजनों ने एफआईआर की कॉपी देखने के बाद ही शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजने की अनुमति दी।
पुलिस के बचाव में बयानबाजी
मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने के बाद जहानगंज थानाध्यक्ष जितेंद्र पटेल कमालगंज के रसीदपुर गांव पहुंचे। वहां उन्होंने ग्राम प्रधान प्रतिनिधि अनूप कुमार और सात अन्य ग्रामीणों के साथ-साथ नामजद ससुर और साले के बयान वीडियो में दर्ज किए। इन बयानों में दावा किया गया कि दिलीप और उसके पिता शराब पीकर नीरज के साथ मारपीट करते थे। यह भी कहा गया कि चौकी में कोई पिटाई नहीं हुई और दंपती के बीच समझौता हुआ था।
पुलिस ने एक पत्र भी लिखवाया, जिसमें कहा गया कि 13 जुलाई को दिलीप ने नीरज को रसीदपुर में छोड़ा और थाने में समझौता हुआ। बयान में सिपाहियों और ससुरालियों पर लगे आरोपों को खारिज करने की कोशिश की गई।
यह घटना पुलिस की कार्यशैली और स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली लोगों की भूमिका पर सवाल उठाती है। दिलीप की आत्महत्या और सुसाइड नोट ने पुलिस की कार्रवाई को कटघरे में खड़ा किया है। एसपी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन ग्रामीणों का गुस्सा और परिजनों का दुख इस घटना की संवेदनशीलता को दर्शाता है।