बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त की जिंदगी ‘रोलर कोस्टर राइड’ से कम नहीं रही. 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट में अवैध हथियार रखने के लिए संजय दत्त को आरोपी करार किया गया था. इन्हें पुणे की यरवदा जेल में रखा गया. इन्होंने करीब पांच साल जेल में सजा काटी, लेकिन अच्छे बर्ताव के कारण इन्हें आठ महीने पहले ही रिहा कर दिया गया था. जेल नियमों के अनुसार, हर कैदी को उसके अच्छे बर्ताव के लिए हर महीने में 7 दिन की सजा माफ की जाती है. 1993 में संजय दत्त को मुंबई ब्लास्ट केस में अरेस्ट किया गया था. इस दौरान एजेंसियों ने संजय से पूछताछ की थी. रेडिफ मेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, संजय ने बताया था, “दिसंबर 1991 में मैंने अभिनेता-निर्माता-निर्देशक फिरोज खान को यलगार के लिए डेट्स दी थीं. फिरोज खान पूरी यूनिट को शूट के लिए दुबई लेकर गए थे. शूटिंग के दौरान ही फिरोज खान ने दाऊद इब्राहिम के साथ मेरा परिचय करवाया था.”
संजय ने यह भी बताया था, “एक दूसरे शूटिंग सेशन के दौरान फिरोज ने मुझे दाऊद के भाई अनीस से मिलवाया था. इस मीटिंग के बाद शूटिंग लोकेशन पर अनीस अक्सर आया करता था. हमारी लंबी मुलाकातें होती थीं.” संजय ने कहा था, “शूटिंग के दौरान ही एक दिन दाऊद ने हमारी पूरी यूनिट को अपने घर डिनर पर बुलाया था. दूसरे यूनिट मेंबर्स की तरह मैंने भी वह पार्टी अटेंड की थी.” संजय ने उस पार्टी को लेकर बताया था, “पार्टी में बहुत सारे लोग थे. हमें इकबाल मिर्ची, शरद शेट्टी, छोटा राजन से मिलवाया गया. पार्टी में पाकिस्तान के भी बहुत से कलाकार थे. सेट पर अनीस से लगातार मुलाकतों की वजह से मेरी उससे अच्छी जान-पहचान हो गई थी.”
हालांकि, यलगार बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई, लेकिन अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन संजय दत्त को भारी पड़ गया. संजय का अंडरवर्ल्ड से संपर्क नहीं होता तो शायद उन्हें जेल नहीं जाना पड़ता. संजय के कई बेशकीमती साल जेल के अंदर बीते हैं. जेल अधिकारियों के मुताबिक, संजय दत्त की 256 दिन यानी आठ महीने की सजा कम हुई थी, जिसके बेसिस पर उन्हें पहले ही रिहा कर दिया गया था. हालांकि, संजय दत्त ने जेल में एक आम कैदी की तरह समय बिताया. संजय दत्त जेल से 440 रुपये लेकर बाहर आए जो उन्होंने वहां पर काम करते हुए कमाए थे. संजय दत्त को सजा काटने के दौरान कागज की थैलियां बनाने का काम दिया गया था. जेल से बाहर आने तक संजय दत्त ने पंद्रह सौ थैलियां बना ली थीं. एक दिन की मजदूरी के रूप में संजय दत्त को केवल 50 रुपये मिलते थे.
साल 2016 में जब संजय जेल की अपनी सजा पूरी कर बाहर निकले तो सेमी स्किल्ड वर्कर के तौर पर उन्होंने 38 हजार रुपये तक की कमाई कर ली थी. हालांकि, संजय ने जेल की कैंटीन में अपनी आमदनी का बहुत सारा पैसा खर्च कर दिया था. रिहाई के दिन संजय की मजदूरी के तौर पर 450 रुपये जेल प्रशासन पर बकाया था. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, संजय ने जेल की कमाई के रूप में बचे हुए रुपये रिहाई के बाद संजय ने पत्नी मान्यता दत्त के हाथ में रख दिए थे. बता दें कि रोज सुबह पांच बजे उठने के बाद संजय दत्त को खाने के लिए दूध और केला दिया जाता था. फिर साढ़े आठ बजे नाश्ता दिया जाता था, जिसमें कभी पोहा तो कभी उपमा होता था. संजय दत्त को कागज की थैलियां बनाने का काम उनकी ही बैरक में सिखाया गया.
एक थैली बनाने में संजय दत्त को पहले बहुत समय लगता था, लेकिन बाद में संजू बाबा का हाथ इस काम में साफ हो गया था. संजय दत्त जेल में बीमार रहने लगे थे और उन्हें घर और परिवार की याद सताती थी. जेल में रहते हुए उन्हें परिवार की कीमत पता चली थी. संजय दत्त को इस बीच कई बीमारियों ने भी अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया था. सबसे ज्यादा उन्हें बीपी की तकलीफ का सामना करना पड़ा. संजय दत्त ने अपने कमरे में धार्मिक किताबें पढ़ना और योग करना शुरू किया तो उनकी तबीयत में सुधार होने लगा. इन 34 महीनों में संजय दत्त को पैरोल पर कई बार छुट्टी भी मिली जिस पर कई तरह के बवाल का भी उन्हें सामना करना पड़ा. संजय कभी पूजा पाठ पर ध्यान नहीं देते थे पर जेल जाने के बाद वह धार्मिक हो गए. जेल से ही संजय ने रामायण, हनुमान चालीसा और गीता पढ़ना शुरू किया. संजू ने कहा भी कि जेल की वजह से ही उन्हें अपने जीवन की सही कीमत पता चली.