विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना के नए वैरिएंट का नामकरण कर दिया है और अब इसे ‘ओमिक्रॉन’ के नाम से जाना जाएगा। हालांकि, इस नामकरण के साथ ही एक विवाद भी छिड़ गया है। दरअसल, महामारी की शुरुआत से ही डब्लूएचओ पर आरोप लगते रहे हैं कि वह चीन के दबाव में काम कर रहा है लेकिन अब नए वैरिएंट के नामकरण में ग्रीक वर्णमाला के दो लेटर्स को छोड़ने से एक बार फिर डब्लूएचओ पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना के नए वैरिएंट्स को ग्रीक अल्फाबेट के लेटर्स के मुताबिक ही नाम देता है। हालांकि, इस बार डब्लूएचओ ने ग्रीक वर्णमाला के अल्फाबेट Nu और Xi छोड़ दिए हैं। अब तक, डब्लूएचओ वायरस स्वरूपों को सरल भाषा में बताने के लिए वर्णमाला के क्रम (अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा आदि) का पालन कर रहा था। टेलीग्राफ यूके की खबर की माने तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सूत्र ने इसकी पुष्टि भी की है कि डब्लूएचओ ने दोनों अक्षरों को जानबूझकर छोड़ा है। दरअसल, डब्लूएचओ ने चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग को बदनाम होने से बचाने के लिए ये अक्षर छोड़े हैं। ग्रीक वर्णमाला के क्रमानुसार अब आने वाले वैरिएंट का नाम XI रखा जाना था। चीन के राष्ट्रपति के नाम में भी XI आता है।
खबरों की मानें तो शुक्रवार को हुई विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक में फैसला लिया गया कि वायरस को ‘Nu’ नाम इसलिए नहीं दिया जाएगा क्योंकि लोग इसे ‘न्यू’ समझ सकते हैं और ऐसे में कन्फ्यूजन का जोखिम है। इसके बाद Xi को भी छोड़ने का फैसला किया गया क्योंकि इससे एक क्षेत्र विशेष की बदनामी का डर था। शुक्रवार को ही डब्लूएचओ ने कोरोना के B.1.1.529 वैरिएंट को ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ करार दिया है। इस वैरिएंट का सबसे पहला मामला दक्षिण अफ्रीका में मिला है। हालांकि, अब तक इसके मामले हॉन्ग-कॉन्ग, इजरायल और बोत्स्वाना में मिल चुके हैं। डब्लूएचओ के मुताबिक, यह वैरिएंट अत्याधिक तेजी से फैलता है। हालांकि, अभी तक इसके असल जोखिमों का पता लगाया जाना बाकी है। फिलहाल मौजूद सबूतों से यह पता लगता है कि इस वैरिएंट से दोबारा संक्रमण का जोखिम बढ़ता है।