चाइल्ड पोर्नोग्राफी और रेप वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपलोड करने से रोकने की मांग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फेसबुक, ट्विटर समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म कंपनियों को छह हफ्ते में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने ये बताने को कहा है कि उन्होंने चाइल्ड पोर्नोग्राफी और रेप वीडियो को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस रिपोर्ट को मांगने के पीछे का मकसद यह जानना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स इस बात की जानकारी दें कि इस तरह के संवेदनशील मामलों में इन वीडियो को अपने प्लेटफॉर्म पर रोकने के लिए किस तरह के नियम बनाए गए हैं। कंपनियां इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए ना केवल सख्य नियम बनाएं बल्कि इस बात को भी सुनिश्चित करें कि इन नियमों का सही ढंग से पालन हो ताकि कोई भी इस तरह के अश्लील वीडियो को अपलोड ना कर पाए।
ज्यादातर मामलों में ऐसा देखा गया है कि ऐसे वीडियो शूट होने के बाद ऑनलाइन डाल दिए जाते हैं जिससे ना केवल लड़कियों पर बल्कि बच्चों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। वहीं, दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट से मिले आदेश पर केंद्र सरकार इस मामले में अपनी एक विस्तृत यानी डीटेल्ड रिपोर्ट को दाखिल करेगी।