गुजरात की आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिये आज सुबह सात बजे मतदान शुरू हो गया।
कई स्थानों पर सुबह से ही मतदान केन्द्रों पर लंबी कतारें दिख रही थीं। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एस मुरलीकृष्णा ने बताया कि मतदान कोरोना महामारी सम्बंधी मानक एहतियातों के साथ शाम छह बजे तक चलेगा। इसके लिए कुल 3024 बूथ बनाए गए हैं जहाँ 18.75 लाख से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। कोरोना के चलते इस बार सामान्य तौर के प्रति 1500 मतदाताओं पर एक बूथ की जगह मात्र 1000 पर एक बूथ बनाया गया है।
कच्छ ज़िले की अबडासा, सुरेंद्रनगर की लिंबड़ी, मोरबी की मोरबी, अमेरली की धारी, बोटाद की गढड़ा (सुरक्षित-अनुसूचित जाति), वडोदरा की करजण, डांग की डांग (सुरक्षित-अनुसूचित जनजाति) और वलसाड की कपराड़ा (सुरक्षित-अनुसूचित जनजाति), इन आठ सीटों पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के तत्कालीन विधायकों के त्यागपत्र के कारण ये उपचुनाव हो रहे है। इन पर कुल 81 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमे से 51 निर्दलीय भी हैं। सर्वाधिक 14 उम्मीदवार लिंबड़ी और सबसे कम चार कपराड़ा में हैं। करजण और डांग में नौ-नौ, अबडासा में 10, धारी में 11 तथा मोरबी और गढड़ा में 12-12 उम्मीदवार हैं।
ज्ञातव्य है कि मुख्य मुक़ाबला सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच ही माना जा रहा है। भाजपा ने इनमें से पाँच सीटों पर उन्ही पूर्व कांग्रेस विधायकों को अपना उम्मीदवार बनाया है जिनके इस्तीफ़े से ये सीटें रिक्त हुई हैं। ये हैं- प्रद्युम्नसिंह जाडेजा (अबडासा), ब्रिजेश मेरजा (मोरबी), जे वी काकड़िया (धारी), अक्षय पटेल (करजण) और जीतू चौधरी (कपराड़ा)। इसके अलावा अन्य तीन सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार हैं पूर्व मंत्री आत्माराम परमार (गढ़ड़ा), आठवीं बार पार्टी टिकट पर उतरे किरीट राणा (लिंबड़ी) और विजय पटेल (डांग)।
कांग्रेस के प्रत्याशी हैं – शांतिलाल सेंधानी (अबडासा), चेतन खाचार (लिंबड़ी), जयंतीलाल पटेल (मोरबी), सुरेश कोटडिया (धारी), मोहन सोलंकी (गढड़ा), किरीट जाडेजा (करजण), सूर्यकांत गावित (डांग) और बाबूभाई पटेल (कपराड़ा)।
मतगणना 10 नवंबर को होगी।
गुजरात की 182 सदस्यों वाली विधानसभा में फ़िलहाल भाजपा के 103 विधायक हैं। कांग्रेस के 65, भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का एक है। इसलिए इस उपचुनाव के नतीजे से सत्ता के समीकरण पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वैसे ये सभी सीटें पूर्व में कांग्रेस की होने से उसके लिए इन पर अपनी साख बचाने का दबाव है।