गुजरात (Gujarat) में कच्छ (Kutch) का रण इस बार चुनावी घमासान में उलझा हुआ है। पिछली बार यहां पर भाजपा और कांग्रेस में कड़ा मुकाबला हुआ था, लेकिन इस बार ‘आप’ (Aap) और असादुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की एआईएमआईएम (AIMIM) की मौजूदगी ने मुकाबला को रोचक बना दिया है। हालांकि चुनाव के ठीक पहले आम आदमी पार्टी के एक उम्मीदवार (Candidate) के मैदान से हटने और भाजपा को समर्थन देने से समीकरण प्रभावित हुए हैं।
कच्छ में छह विधानसभा सीटें अबडासा, रापर, भुज, मांडवी, अंजार और गांधीधाम आती हैं। बीते चुनाव में कांग्रेस को दो भाजपा को चार सीटें मिली थीं। उस समय इस क्षेत्र पर पाटीदार आंदोलन का प्रभाव पड़ा था। क्षेत्र में लगभग 11 फीसदी पटेल मतदाता हैं। मांडवी के रविंद्र भाई जडेजा का कहना है कि इस बार के चुनाव में ऐसा कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, जिस पर फैसला हो। सभी दलों ने अपने अलग वादे किए हैं, ऐसे में जनता उसे ही चुनेगी जो उसके विकास के लिए बेहतर हो। उनका मानना है कि 2001 के बाद क्षेत्र में भूकंप की भारी तबाही के बाद जो विकास हुआ है उसे नकारा नहीं जा सकता है।
बीते चुनाव में कांग्रेस ने क्षेत्र की दो सीटें रापर और अबडासा जीती थी। इनमें से अबडासा के विधायक प्रद्युम्न सिंह जडेजा 2020 में भाजपा में शामिल हो गए थे और उन्होंने उप चुनाव लड़कर फिर से जीत हासिल की थी। अब वही फिर से उम्मीदवार हैं। सोमवार को एक और बड़ी घटना हुई जिसमें आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार वसंत बलजी भाई खेतानी ने मैदान से हटने का फैसला किया व भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की है। इससे इस सीट के समीकरण बदल सकते हैं और भाजपा को बड़ा लाभ मिल सकता है।
कच्छ में 19 फीसदी मुस्लिम आबादी
कच्छ में लगभग 19 फीसदी मुस्लिम हैं यही वजह है कि एआईएमआईएम ने भी दो सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। ऐसे में भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम के बीच मुकाबला काफी रोचक हो गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि एआईएमआईएम की उपस्थित से भाजपा को लाभ मिल सकता है, क्योंकि इससे विपक्षी वोट बंट सकते हैं।