गत एक वर्ष से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर एकत्रित किसानों का धरना शनिवार को समाप्त हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में किसानों की मांग को स्वीकार करते हुए कहा था कि सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस लेगी। शीतकालीन सत्र शुरू होते ही सरकार संसद में बिल लेकर आई और कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा संसद में की। कृषि कानूनों की वापसी बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिलते ही लगभग साल भर तक राजनीतिक हंगामे की वजह बने कृषि कानून इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गये।
पहला जत्था बिजनौर रवाना
दिल्ली बॉर्डर से किसान अपने घर लौटने शुरू हो गये हैं। शनिवार सुबह 8.30 बजे किसान नेता राकेश टिकैत ने किसानों के जत्थे को बिजनौर के लिए हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। गाजीपुर बॉर्डर पर किसान पिछले एक साथ से कृषि कानूनों की वापसी समेत अन्य मांगों को लेकर एक साल से डटे हुए थे।
आंदोलन समाप्त नहीं बल्कि स्थगित
कृषि कानून की वापसी के बाद भी किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत कई मांगों को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे। अब सरकार ने एक चिट्ठी भेजकर उनकी सभी मांगों को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया है। संयुक्त किसान मोर्चा, भारतीय किसान यूनियन समेत कई किसान संगठन अपनी मांगों को लेकर साल भर सरकार से वार्ता करते रहे। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि उन्होंने आंदोलन समाप्त नहीं किया है बल्कि स्थगित किया है। अगर सरकार अपने किये वादे से पीछे हटती है कि तो किसान फिर से दिल्ली में अपनी धमक दिखा सकते हैं।
किसानों का जोश हाई
आंदोलन की सार्थक समाप्ति के बाद किसानों का जोश हाई है क्योंकि संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान हकों की लड़ाई जारी रखने का तेवर दिखाकर धरने को समाप्त किया है। केंद्र सरकार ने पत्र भेजकर किसानों को भरोसा दिलाया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार ने जिस कमेटी को बनाने का ऐलान किया है, उसमें केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के अलावा संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य भी शामिल होंगे।
एक साल के धरने के दौरान यूपी, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश में दर्ज मुकदमों और केंद्र की एजेंसियों द्वारा दर्ज केस वापस लिया जाएगा। हरियाणा और यूपी सरकार ने मुआवजे पर सैद्धांतिक सहमति दी है और पंजाब सरकार ने इसका ऐलान किया है। पराली जलाने पर बनने वाले कानून में किसानों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज नहीं करने के प्रावधान होंगे।
शुक्रवार को गुरुद्वार में अरदास
शुक्रवार को कृषि कानून रद होने के बाद किसान नेता राकेश टिकैत, समेत पंजाब के कई किसान नेता दिल्ली स्थित गुरुद्वारा बंगला साहिब पहुंचे। किसान नेताओं ने अरदास किया। राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों को आमजनों के सहयोग से जीत मिली है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के चारों तरफ मोर्चे जमे हुए थे। इनमें साथ लगते गांवों के लोगों ने बहुत साथ दिया। सब्जी से लेकर दूध लस्सी तक लंगरों में पहुंचाया। डॉक्टरों ने भी संघर्ष के दौरान बहुत अच्छी भूमिका निभाई है। इन लोगों के सहयोग की वजह से ही आंदोलन सफल हुआ है।
ज्ञात हो कि किसानों ने पहले 10 दिसंबर को विजय दिवस मनाना तय किया था। भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के निधन के कारण इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया। शुक्रवार को सीडीएस रावत का अंतिम संस्कार किया गया।