भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी (BJP) के सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में खुद को बरी करने की मांग की है. सिंह की ओर से दिल्ली की कोर्ट में शनिवार (21 अक्टूबर) को पेश हुए अधिवक्ता राजीव मोहन ने दलील दी है कि इस मामले में गवाहों के बयानों में परस्पर विरोधाभास है.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले को देखने के लिए बनायी गई निरीक्षण समिति (oversight committee) को सात दिनों के भीतर प्राथमिकी दर्ज करने की सिफारिश करनी थी, लेकिन समिति ने ऐसा कुछ नहीं किया है. सिंह को आरोप मुक्त करने की मांग करते हुए उनके अधिवक्ता ने कहा है कि चूंकि निरीक्षण समिति ने कोई सिफारिश नहीं की है इसलिए प्रथम दृष्ट्या यह मामला बताता है कि बृजभूषण सिंह के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं.
बृजभूषण सिंह को पेशी से छूट
खास बात यह है कि बृजभूषण सिंह मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद नहीं थे क्योंकि उनके वकील ने उन्हें छूट देने की अर्जी दायर की थी जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया है. आपको बता दें कि बृजभूषण सिंह के खिलाफ छह महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. इस संबंध में उनके अधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि सभी शिकायतकर्ताओं ने निजी कारणों से आरोप लगाए और उनके समर्थन में उनके परिवार के अलावा कोच या बाकी किसी ने कोई बयान नहीं दिया है. शिकायत में भी काफी देरी हुई और हलफनामे में एक ही तरह के आरोप में जगह के तौर पर तुर्की का उल्लेख किया गया जबकि शिकायतकर्ता ने दिल्ली का जिक्र किया है.
दिल्ली पुलिस ने किया दलील का विरोध
बृजभूषण सिंह के वकील की ओर से भी दी गई दलील का दिल्ली पुलिस ने विरोध किया है. पुलिस की ओर से कहा गया है कि अगर निरीक्षण समिति ने अपनी सिफारिश नहीं दी है तो इसका मतलब यह नहीं है कि कमिटी ने उन्हें आरोपों से बरी कर दिया है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 अक्टूबर की तारीख मुकर्रर की है.
बता दें कि महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों में घिरे बृजभूषण सिंह के खिलाफ देश की नामी महिला पहलवान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक सहित अन्य ने एक जुट होकर दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दिया था. इसके बाद दिल्ली पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की थी. इस मामले को लेकर विपक्षी कांग्रेस सहित अन्य दलों ने बीजेपी को चौतरफा घेरा है.