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खौफनाक खुलासा: ‘कोरोना वायरस’ की घातक साजिश, अब इंसान के दिमाग को बना रहा अपना निशाना

कोरोना के कहर के बीच शुरू हुए शोध में कई तरह के अहम खुलासे हो रहे हैं। इस खुलासे में कई हैरतअंगेज तथ्य भी सामने आ रहे हैं, जो आपको हैरान करने के साथ-साथ परेशान भी कर देंगे। इस बीच एक ऐसा ही खुलासा कोरोना मरीजों के दिमाग को लेकर किया गया है। जिसमें यह बताया गया कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद मरीजों का दिमाग 10 साल बूढ़ा हो रहा है। इनकी दिमागी कार्य प्रणाली पर इसका नकारात्मक असर पड़ रहा है। जिसका सीधा असर उनकी दैनिक कार्य क्षमता पर दिखता हुआ नजर आ रहा है। इन सभी के बीच भयावह हो रही स्थिति का अंदाजा तो आप तब लगा सकते हैं कि ऐसे लक्षण कोरोना से उबरने के बाद मरीजों में दिख रहे हैं।

हालांकि, ऐसा कोई पहला मौका नहीं है, बल्कि इससे पहले भी कई शोध में इस बात को लेकर खुलासे किए जा चुके हैं कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद भी मरीजों में गंभीर समस्याओं के स्वरूप देखे जा रहे हैं, मगर इस बीच दिमागी रूप से देखे गए लक्षण काफी भयावह संकेत देते हुए नजर आ रहे हैें। वहीं, इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए लंदन के इंपीरियल क़ॉलेज के डॉक्टर हैम्पशायर के अगुवाई में 84 हजार लोगों पर अध्ययन करने के उपरांत इस नतीजे पर पहुंचा गया है कि कोरोना से उबरने के बावजूद भी मरीजों में दिमागी व्यथा देखी जा रही है। कुल मिलाकर उनकी दिमागी कार्यप्रणाली पर काफी नकारात्मक असर दिख रहा है।

होता है ऐसा टेस्ट, और फिर..  
यहां पर हम आपको बताते चले कि दिमागी कार्यप्रणाली की जांच करने हेतु कॉग्निटिव टेस्‍ट किया जाता है। इस जांच के तहत लोगों से पहेली सुलझाई जाती है। जिसके बाद उनकी कार्यप्रणाली का पता लगाया जाता है। सामान्यत: ऐसे टेस्ट अल्जाइमर मरीजों पर किए जाते हैं। मालूम हो कि कोरोना के कहर के बीच लगातार शोध का सिलसिला जारी है, जिस बीच लगातार तरह-तरह के खुलासेे सामने आ रहे हैं। उधर, इससे पहले भी कोरोना मरीजों के संदर्भ में हुए खुलासे को लेकर इस तरह के कई खुलासे पहले भी किए जा चुके हैं। गौरतलब है कि अभी भारत सहित शेष विश्व में कोरोना का कहर अपने चरम पर पहुंच रहा है।