दशकों तक कुख्यात डाकुओं की शरणस्थली के तौर पर कुख्यात रही चंबल घाटी की नैसर्गिक सुंदरता आस्ट्रेलिया और स्विटरजरलैंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलो को भी मात देती है।
भारतीय वन सेवा के अधिकारी रहे इटावा के जिलाधिकारी जितेंद्र बहादुर सिंह ने चंबल घाटी की खूबसूरती के बारे में बताया कि पिछले दिनो वह भरेह स्थिति ऐतिहासिक किले का दीदार करने गये थे जिसके कुछ फोटोग्राफ उन्होने अपने मित्रो को भेजे। तस्वीरो को देखने के बाद मित्रों से प्रतिक्रिया मिली कि उन्हे ऐसा लगा कि वह आस्ट्रेलिया और स्विटरजरलैंड घूम रहे है। इस तरह के कमेंट एक दो नही कम से कम 20 लोगो की ओर से आये। साथी यह समझ नही पा रहे थे कि हिन्दुस्तान मे भी इतनी खूबसूरत जगह हो सकती है।
उन्होंने कहा कि चंबल की प्राकृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को आज ना केवल सुरक्षित रखने की जरूरत है बल्कि उसको लोकप्रिय भी बनाना है। निश्चित तौर पर जो प्राकृतिक संपदा मिली है उसे ईको पर्यटन के तौर पर विकसित करके जिले को नई दिशा दी जा सकती है।
चंबल घाटी का नाम आते ही शरीर मे सिहरन दौड़ जाती है क्योंकि ज्यादातर लोग मानते है कि खौफ और दहशत का दूसरा नाम चंबल घाटी है जबकि हकीकत मे ऐसा नही है। चंबल मे ऊबड़ खाबड़ मिट्टी के पहाड़ों के बीच कलकल बहती चंबल नदी की सुंदरता की कोई दूसरी बानगी शायद ही देश भर मे कहीं और देखने को मिले। नदी सैकडों दुर्लभ जलचरो का आशियाना है जिसमें घडियाल, मगरमच्छ, कछुए, डाल्फिन के अलावा करीब ढाई से अधिक प्रजाति के पक्षी चंबल की खूबसूरती को चार चांद लगाते है। उत्तराखंड और कश्मीर की सुंदर वादियों की तरह चंबल की नैसर्गिक सुंदरता किसी का मन मोह सकती है। कश्मीर और उत्तराखंड की सुदंरता देखने के लिये देश दुनिया भर से पर्यटक आते है लेकिन चंबल को अभी वह मुकाम हासिल नहीं हुआ है जिसका वाकई में वो हकदार रहा है।