कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी की शुरुआत साल 2019 के आखिर में चीन से हुई और इसने तेजी से पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया. एक साल से अधिक समय हो गया है लेकिन दुनिया अब भी इस संकट में फंसी हुई है. चीन को लेकर अमेरिका और ब्राजील जैसे देश साफतौर पर कहे चुके हैं कि उसने कोरोना वायरस को बायोलॉजिकल हथियार (Biological Weapons) के तौर पर तैयार किया है. साथ ही कई देशों ने तो इस मामले में चीन की जांच करने की मांग की है. अब अमेरिकी जांचकर्ताओं ने कुछ बड़े खुलासे किए हैं, जिनमें ये बायो हथियार बनाने वाली बात का भी जिक्र किया गया है.
अमेरिकी जांचकर्ताओं के हाथ एक दस्तावेज लगा है, जिसके आधार पर उन्होंने कहा है कि चीन के वैज्ञानिक पिछले छह साल से तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी कर रहे हैं, जिसे कोरोना वायरस जैसे बायोलॉजिकल और जेनेटिक हथियारों से लड़ा जाएगा. इस हैरान कर देने वाले दस्तावेज (Secret Covid Document) में कहा गया है कि युद्ध में ‘जीत के लिए ये मुख्य हथियार होंगे’. इसमें लिखा है कि वो बेहतर परिस्थिति कौन सी होगी जब बायो हथियार को जारी किया जाएगा और इससे ‘दुश्मन के मेडिकल सिस्टम’ पर क्या प्रभाव पड़ेगा. चीन 2015 से ही SARS कोरोना वायरस को सैन्य क्षमता के तौर पर इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहा था. कई अधिकारी तो अब भी ये मानते हैं कि वायरस चीनी लैब से ही निकला है.
वरिष्ठ अधिकारी देश को लेकर चिंतित
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (People’s Liberation Army) के वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य अधिकारियों के डोजियर में बीमारी के साथ छेड़छाड़ कर एक ऐसे हथियार को बनाने की जांच का जिक्र किया गया है, जैसा ‘पहले कभी नहीं देखा गया’. वरिष्ठ अधिकारियों ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के करीबी लोगों के इरादों पर चिंता व्यक्त की है. वह देश को लेकर डर में हैं क्योंकि लैब में होने वाली इस तरह की गतिविधियों पर कोई प्रतिबंध नहीं है. दस्तावेज लिखने वालों ने कहा है कि तीसरा विश्व युद्ध ‘बायोलॉजिकल होगा’ और बाकी के दो विश्व युद्ध से बिल्कुल अलग होगा. इसमें इन दो युद्धों को कैमिकल और न्यूक्लियर युद्ध बताया गया है.
जापान पर परमाणु हमले का जिक्र
इसमें जापान (Japan) पर गिराए गए दो परमाणु बम और उसके बाद उसके सरेंडर करने के साथ ही दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति का जिक्र है और फिर दावा किया गया है कि बायो हथियार तीसरे विश्व युद्ध में जीत के लिए एक प्रमुख हथियार है. इसमें बताया गया है कि कौन सी परिस्थिति में इस तरह के हथियार को जारी किया जाए, ताकि ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो सके. चीनी वैज्ञानिकों ने कहा है कि ऐसे हमले साफ दिन में नहीं किए जाने चाहिए क्योंकि सूरज की रोशनी रोगजनकों को मार सकती है, जबकि बारिश या बर्फ एयरोसोल कणों (हवा में मौजूद) को प्रभावित कर सकते हैं. इसके बजाय इसे रात में या फिर सुबह, शाम, या जब बादल छाए हों, ‘तब स्थिर हवा की दिशा में टार्गेट वाले इलाके में जारी करना चाहिए, ताकि वो हवा से वहां तक पहुंच जाए.’
स्वास्थ्य सिस्टम को ध्वस्त करने का इरादा
दस्तावेज में कहा गया है कि ऐसे हमलों से अस्पताल आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ेगी और उस देश का स्वास्थ्य सिस्टम ध्वस्त हो जाएगा (Wuhan Covid Origin). अमेरिका ने चीन के घातक इरादों पर चिंता जताई है. वहीं ब्रिटेन में विदेश मामलों की समिति के चेयरमैन सांसद टॉम टुगेधांत का कहना है कि जो शीर्ष नेतृत्व की बात करते हैं, उनके इराकों को लेकर ये दस्तावेज चिंता देने वाला है. चाहे कितना भी सख्त नियंत्रण कर लिया जाए लेकिन ये हथियार फिर भी खतरनाक ही रहेंगे. इस दस्तावेज के 18 लेखक हैं, जो ‘उच्च जोखिम’ वाली लैब में काम कर रहे हैं. ऑस्ट्रेलियाई स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीटर जेनिंग्स ने भी इसपर चिंता जताई है.