महाराष्ट्र की जेल में बंद अपराधियों ने कोरोना महामारी का फायदा उठाया है. कोरोना महामारी के दौरान आपातकालीन पैरोल पर रिहा किए गए 451 अपराधी राज्य सरकार द्वारा पिछले मई में एक आदेश जारी करने के बावजूद अभी तक जेल नहीं लौटे हैं. जेल प्रशासन ने पिछले सात महीनों में ऐसे फरार दोषियों के खिलाफ 357 प्राथमिकी दर्ज की हैं.
महामारी के दौरान राज्य ने जेलों में भीड़ कम करने के लिए विचाराधीन कैदियों और उन मामलों में दोषी ठहराए गए लोगों को रिहा करने का फैसला किया था. जिनकी अधिकतम सजा 7 साल या उससे कम थी. मार्च 2020 तक महाराष्ट्र की जेलों में 35,000 से अधिक कैदी थे. कैदियों के रिहाई के बाद, 4,237 दोषियों सहित 14,780 कैदी अंतरिम जमानत या आपातकालीन पैरोल पर बाहर चले गए. बाद में उन्हें उस जेल की बैरक में वापस जाने के लिए कहा गया, जिसमें वे पहले से थे.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जेल के एक सूत्र ने कहा कि हालांकि, अभी तक रिहा किए गए 451 अपराधी वापस नहीं आए हैं. इन लोगों पर 357 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, अन्य के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी है. यह पूछे जाने पर कि फरार दोषियों को पकड़ने के लिए क्या कार्रवाई की जा रही है. इस पर अतिरिक्त डीजीपी (जेल) अमिताभ गुप्ता ने कहा, “हम संबंधित पुलिस इकाई कमांडरों के साथ संपर्क कर रहे हैं.”एक अधिकारी ने कहा कि पुलिस लापता दोषियों का पता लगाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि इस तरह के कई दोषियों ने अपना पता बदल लिया है, जबकि कई अन्य घर पर नहीं हैं. कुछ दूरदराज के इलाकों में रहते हैं. पिछले साल 4 मई को महाराष्ट्र के गृह विभाग ने एक आदेश जारी कर अस्थायी पैरोल या अंतरिम जमानत पर आए सभी कैदियों को अपनी जेलों में लौटने को कहा था. साथ ही जेल प्रशासन को ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने का भी निर्देश दिया था.
महामारी के दौरान पैरोल दिए गए प्रत्येक दोषी को स्थानीय पुलिस स्टेशन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कहा गया था. जो लोग न तो स्थानीय पुलिस थाने में उपस्थित हुए और न ही जेल लौटे हैं. उन पर आईपीसी की धारा 224 के तहत मामला दर्ज किया गया है. विचाराधीन कैदियों के मामले में, जो अंतरिम जमानत पर बाहर थे. उनमें से अधिकांश ने अदालतों का दरवाजा खटखटाया और नियमित जमानत हासिल की है.