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कोरोना 2.0: संक्रमित मरीज की मौत, खिसक लिए परिजन, अस्पताल के बरामदे में 2 दिन पड़ा रहा शव

कोरोना वायरस की महामारी की दूसरी लहर बेकाबू हो गई है. संक्रमितों के साथ ही मृतकों की तादाद भी लगातार बढ़ती जा रही है. झारखंड में भी कोरोना खतरनाक रूप धारण कर रहा है. प्रदेश के दुमका में एक व्यक्ति की कोरोना संक्रमण से मौत होने के बाद उसका शव दो दिन से दुमका मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में पड़ा रहा. कोरोना संक्रमित को लेकर अस्पताल आए उसके परिजन मरीज की मौत के बाद खिसक लिए. दो दिन से शव पड़े होने को लेकर मरीजों ने हंगामा किया तब उसे ले जाकर शव को पोस्टमॉर्टम हाउस में रखा गया.

कोरोना को लेकर लोगों में खौफ है. संक्रमण की चपेट में आए लोगों से उनके अपने भी दूरी बनाकर रख रहे हैं. हद तो यह है कि कोरोना के कारण मौत की स्थिति में मृतक का शव ले जाकर अंत्येष्टि करने वाला भी कोई अपना नहीं है. यह हाल है दुमका का. कोरोना संक्रमित को लेकर डीएमसीएच पहुंचे उसके परिजन मौत के बाद शव वहीं छोड़कर खिसक लिए और उसका शव दो दिन तक वहीं पड़ा रहा. जानकारी के मुताबिक दुमका में एक मरीज के परिजन उसे लेकर डीएमसीएच आए थे. जब तक डॉक्टर मरीज के स्वास्थ्य की जांच करते, उसकी मौत हो गई. मौत के बाद परिजन शव वहीं छोड़कर धीरे से चलते बने. लोगों ने एक मरीज के काफी देर से बगैर हलचल कुर्सी पर बैठे होने की जानकारी जब डीएमसीएच प्रशासन को दी और चिकित्सकों ने जांच की तो यह पाया कि उस व्यक्ति की मौत हो चुकी थी.

कोरोना टेस्ट में मृतक के कोरोना से संक्रमित होने की पुष्टि हुई. कोरोना संक्रमण की पुष्टि के बाद शव को प्लास्टिक में पैक कर हॉस्पिटल के बरामदे में रख दिया गया था. दो दिन तक शव वहीं पड़ा रहा. दो दिन तक शव वहीं पड़े रहने के बाद जब मरीजों ने हंगामा किया तब उसे ले जाकर पोस्टमॉर्टम हाउस में रख दिया गया. सिविल सर्जन अनंत झा ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि मृतक के परिजनों का पता नहीं चल पाया है. उन्होंने बताया कि इसकी अंत्येष्टि के लिए अनुमंडल पदाधिकारी को पत्र लिखकर अनुरोध किया गया है. अनुमंडल पदाधिकारी महेश्वर महतो ने जानकारी दी कि एसओपी के तहत शव को डिस्पोज करने के लिए दो दिन पहले ही नगर परिषद को पत्र लिखा गया है. इस मामले पर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी गंगाराम ठाकुर ने कहा कि एसओपी के तहत शव को डिस्पोज करने के लिए सारी सुविधा है लेकिन कोरोना से मृत व्यक्ति का शव छूने की बात से ही डर लगता है. काफी समझाने-बुझाने के बाद नगर परिषद की टीम शव को डिस्पोज करने के लिए तैयार हुई और 10 अप्रैल की देर शाम शव को अंतिम संस्कार के लिए रवाना हुई.