कुतुब मीनार परिसर (Qutub Minar Complex) में हिंदू और जैन देवी देवताओं (Hindu and Jain Gods and Goddesses) को स्थापित कर पूजा के अधिकार की मांग के मामले में पुरातत्व विभाग (archeology department) ने दिल्ली के साकेत कोर्ट (Delhi Saket Court) में अपना जवाब दाखिल किया है. एएसआई ने अपने जवाब में कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद की ओर से दाखिल की गई अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि इस अर्जी को सुनने का कोई ओचित्य नहीं है. एएसआई ने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से जिस जमीन के मालिकाना हक की बात कही जा रही है उस जमीन के मालिकाना हक को लेकर भारत को आजादी मिलने यानी 1947 के बाद से किसी भी कोर्ट में न तो अपील दायर की गई और न ही कानून के मुताबिक मांग की गई.
एएसआई ने अपने जवाब में कहा में साल 1913 में जब कुतुब मीनार को एएसआई की ओर से संरक्षित इमारतों में शामिल किया था तब सभी नियमों का पालन किया गया था. उस समय भी जमीन के मालिकाना हक को लेकर किसी ने एएसआई में अपील नही की थी. और अपील न करने का यह कार्यकाल 1913 से लेकर साल 2022 तक रहा है. हालांकि मालिकाना हक के अपील करने की लिमिटेशन में देरी का सिद्धांत भी लागू होता है. याचिकाकर्ता के द्वारा जमीन पर मालिकाना हक की मांग नहीं की जा सकती है.
अपील खारिज करने की मांग
एएसआई ने अपने जवाब में साकेत कोर्ट आर्डर 1 रूल 10 के तहत कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद की अर्जी को खारिज करने की मांग की है. दरअसल आर्डर 1 रूल 10 के तहत कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद की ओर से दाखिल की गई है. उन्होंने भी इस मामले में पक्षकार बनाए जाने की मांग की है. नई अर्जी में कहा गया है कि याचिकाकर्ता महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह तत्कालीन आगरा प्रांत के वारिस हैं और उस लिहाज से दक्षिणी दिल्ली के जमीन के भी वारिस हैं और यह मीनार उसी जमीन पर बनी हुई है, लिहाजा इनका पक्ष भी सुना जाना जरूरी है. अब इस अहम मामले की सुनवाई साकेत कोर्ट में बुधवार को की जाएगी.