अयोध्या के मंदिर-मस्जिद विवाद के फैसले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत उ.प्र.सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या के धन्नीपुर गांव में प्रदेश सरकार द्वारा दी गयी पांच एकड़ जमीन पर मस्जिद के निर्माण की तैयारी शुरू हो गयी है। इस निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इण्डो इस्लामिक फाउण्डेशन के नाम से एक ट्रस्ट गठित किया है।
लखनऊ के ट्रस्ट के दफ्तर में वरिष्ठ वास्तुविद और इस मस्जिद के डिजायनर प्रो.एस.एम.अख्तर ने मस्जिद का डिजायन सार्वजनिक किया। इस मस्जिद के साथ अस्पताल, प्रकाशनगृह व शोध केन्द्र आदि का भी निर्माण करवाया जाएगा। यह जानकारी ट्रस्ट के प्रवक्ता अतहर हुसैन ने दी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसका नाम बाबरी मस्जिद नहीं बल्कि धन्नीपुर मस्जिद होगा।
गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस पर रखी जा सकती है मस्जिद की नींव
धन्नीपुर गांव में बनने वाली मस्जिद की नींव गणतंत्र दिवस या फिर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रखी जा सकती। हालांकि, इस संबंध में अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। पिछले दिनों ट्रस्ट के सचिव व प्रवक्ता अतहर हुसैन ने कहा था कि निर्माण शुरू करने के लिए पहली ईंट तो रखनी ही होगी तो इसके लिये 26 जनवरी या 15 अगस्त से बेहतर दिन दूसरा नहीं हो सकता है, क्योंकि 26 जनवरी को देश के संविधान की नींव रखी गई थी, जबकि 15 अगस्त को देश आजाद हुआ और आजाद भारत की नींव रखी गई थी।
उन्होंने कहा था कि अयोध्या में बनने वाली मस्जिद में बाबर या उससे जुड़ा कोई जिक्र नहीं होगा और न ही किसी भाषा या राजा के नाम पर मस्जिद का नाम होगा। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मस्जिद के निर्माण के लिए छह महीने पहले आईआईसीएफ का गठन किया था। परियोजना के मुख्य वास्तुकार प्रोफेसर एसएम अख्तर ने डिजाइन अंतिम रूप दिया है। अख्तर ने बताया कि मस्जिद में एक समय में 2,000 लोग नमाज अदा कर सकेंगे और इसका ढांचा गोलाकार होगा।
अख्तर के अनुसार, नई मस्जिद बाबरी मस्जिद से बड़ी होगी, लेकिन उसी तरह का ढांचा नहीं होगा। परिसर के मध्य में अस्पताल होगा। पैगंबर ने 1400 साल पहले जो सीख दी थी उसी भावना के अनुरूप मानवता की सेवा की जाएगी।
यह कहते हैं परियोजना के मुख्य वास्तुकार
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मस्जिद के निर्माण के लिए छह महीने पहले आईआईसीएफ का गठन किया था। परियोजना के मुख्य वास्तुकार प्रोफेसर एसएम अख्तर ने डिजाइन अंतिम रूप दिया है। अख्तर ने बताया कि मस्जिद में एक समय में 2,000 लोग नमाज अदा कर सकेंगे और इसका ढांचा गोलाकार होगा।
अख्तर के अनुसार, नई मस्जिद बाबरी मस्जिद से बड़ी होगी, लेकिन उसी तरह का ढांचा नहीं होगा। परिसर के मध्य में अस्पताल होगा। पैगंबर ने 1400 साल पहले जो सीख दी थी उसी भावना के अनुरूप मानवता की सेवा की जाएगी।