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कुख्यात डकैत के पालतू हाथी रहे ‘जय सिंह’ को मिला नया जीवन, पुलिस ने ऐसे किया संभव

कभी बुंदेलखंड के कुख्यात डकैत ददुआ के पालतू हाथी रहे ‘जय सिंह’ को इस साल 19 अक्टूबर को सतना (मध्य प्रदेश) में वन अधिकारियों ने रेस्क्यू कराया था। उसे कुछ लोग अवैध बिक्री के लिए गुजरात ले जा रहे थे। रेस्क्यू कराए जाने के बाद जय सिंह को मध्य प्रदेश पुलिस ने उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंपा था। यूपी पुलिस ने उसे वन विभाग को दिया। जय बहुत दुबला और कमजोर हो गया था। अब जय सिंह को दुधवा के हाथी शिविर में लाया गया है। वन अधिकारियों को अब उम्मीद है कि जनवरी 2022 में ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उसे दुधवा टाइगर रिजर्व में वन गश्ती दल का हिस्सा बनाया जाएगा।

जय का फिलहाल इलाज चल रहा है और केंद्र में उसकी देखभाल की जा रही है। हाथी के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है, फॉरेस्टर्स में जय की परफॉर्मेंस को देखकर खुशी है। वह नए वातावरण को अच्छी तरह से समझ रहा है। उसे चेन से नहीं बांधा गया है। जय पहले अकसर चित्रकूट में घरों और संपत्तियों को तबाह कर भगदड़ मचा चुका था लेकिन यहां वह शांत स्वाभाव दिखा रहा है।

25 साल की है उम्र

दुधवा के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक ने बताया कि जय सिंह की उम्र करीब 25 साल है। अक्टूबर में जब उसे यहां लाया गया तो उनकी तबीयत खराब थी। हमने सभी आवश्यक परीक्षण पूरे कर लिए हैं और इलाज शुरू कर दिया है। अब वह अच्छा व्यवहार कर रहा है।

वीर सिंह नहीं दिखा पाए दस्तावेज

पाठक ने कहा कि ददुआ की मौत के बाद उनके बेटे और पूर्व विधायक वीर सिंह हाथी को रखे थे। जंबो को उस समय रेस्क्यू कराया गया जब इसे गुजरात ले जाया जा रहा था। वीर सिंह हाथी के स्वामित्व को साबित करने वाले दस्तावेज पेश करने में विफल रहे, जिसके बाद मध्य प्रदेश वन विभाग ने जय को जब्त कर उसकी देखरेख के लिए यहां भेज दिया।

सबसे अनुकूल व्यवहार वाला हाथी बना जय

अधिकारी ने बताया कि जय को अच्छी डाइट दी जा रही है और दो महावत इसके साथ समय बिताने लगे हैं। अब, यह दुधवा के शिविर में यहां सबसे अधिक अनुकूल नर हाथी है। यह महावतों को अपनी पीठ पर चढ़ने देता है, लेकिन असली परीक्षा यह होगी कि वह जंगल में गैंडों और बाघों का सामना करने के बाद कैसे प्रतिक्रिया करता है।

कौन थे शिवकुमार पटेल उर्फ ददुआ?

शिवकुमार पटेल उर्फ ददुआ ने जय को 2002 में एक मेले से खरीदा था। ददुआ यूपी के मोस्ट वांटेड अपराधियों में से एक था। जुलाई 2007 में यूपी एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में ददुआ के मारे जाने के बाद उसका बेटा वीर हाथी की देखभाल करने लगा। ददुआ के खिलाफ कई मामले दर्ज थे और पुलिस ने उसके सिर पर सात लाख रुपये से अधिक का इनाम घोषित किया था। ददुआ बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थानीय लोगों के बीच लोकप्रिय थे, और उनमें से कुछ ने 2016 में फतेहपुर के एक मंदिर में उनकी प्रतिमा भी लगाई थी। उनके बेटे ने 2012 में चित्रकूट निर्वाचन क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता था, लेकिन 2017 के राज्य चुनावों में हार गए थे।

चित्रकूट के इलाके में जय का था तांडव

चित्रकूट निवासी शिवमंगल अग्रहरी ने बताया कि ददुआ ने इस हाथी को खरीदा था लेकिन वह कभी इसकी पीठ पर नहीं बैठे। हालांकि वह इसका अच्छे से ख्याल रखते थे। ददुआ की मृत्यु के बाद, हमने हमेशा जय को जंजीरों से बंधा देखा। पिछले तीन वर्षों में, जय ने कुछ लोगों पर हमला किया और उन्हें घायल कर दिया, कृषि क्षेत्रों में प्रवेश किया और फसलों को नष्ट कर दिया। चित्रकूट में कई वाहनों और झोपड़ियों को क्षतिग्रस्त कर दिया। 2020 में इसे नियंत्रित करने के लिए मथुरा से एक टीम को बुलाया गया था।