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किसान आंदोलन: किसान नेताओं और सरकार के मंत्रियों के बीच बातचीत शुरू

विज्ञान भवन में केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ पांचवें दौर की बातचीत शुरू हो गई है। किसान प्रतिनिधि और सरकार के मंत्री पहुंच चुके हैं। आज का दिन बातचीत के लिए काफी अहम माना जा रहा है, क्‍योंकि किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार उनकी बात नहीं मानती है तो 8 दिसंबर को वह भारत बंद करेंगे।

दोआबा किसान संघर्ष समिति के हरसुलिंदर सिंह ने विज्ञान भवन में मीडिया से बात करते हुए साफ किया कि वह कानूनों को वापस लेना की बात करेंगे। वह कानूनों में संशोधन के लिए सरकार के प्रस्ताव को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे।

आजाद किसान संघर्ष समिति, पंजाब के राज्य प्रमुख हरजिंदर सिंह टांडा ने भी कहा कि हम कानूनों का पूरी तरह से रोलबैक कराना चाहते हैं। अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी, तो हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे।

इससे पहले किसानों की मांग को लेकर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर बैठक की थी। नए कृषि कानून के खिलाफ हरियाणा, पंजाब और अन्य राज्यों के हजारों किसान लगातार 10वें दिन प्रदर्शन कर रहे हैं और दिल्ली के बॉर्डर पर बने हुए हैं।किसान महापंचायत के अध्यक्ष किसान नेता रामपाल जाट ने कहा कि यदि शनिवार की वार्ता सकारात्मक नोट पर समाप्त नहीं हुई तो राजस्थान के किसान राष्ट्रीय राजमार्ग-8 पर दिल्ली की ओर मार्च करेंगे और जंतर-मंतर पर डेरा डालेंगे। सरकार को तीन काले कानूनों को वापस लेने की घोषणा करनी चाहिए और लिखित में देना चाहिए कि न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगा।

भारतीय किसान यूनियन (BKU) के महासचिव हरविंदर सिंह लखवाल ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है, अगर सरकार सितंबर में लागू किए गए विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है। लखवाल ने कहा, “हमने आने वाले दिनों में दिल्ली की ओर जाने वाली सभी सड़कों को अवरुद्ध करने की योजना बनाई है, नए कृषि कानूनों को खत्म नहीं किया जा सके।”