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किसानों के लिए राकेश टिकैत ने छोड़ी थी पुलिस की नौकरी, विरासत में मिली है किसानी, इतने करोड़ के हैं मालिक

26 जनवरी को लाल किले में हुई हिंसा (Red Fort Violence) के बाद से किसान आंदोलन नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है. हिंसा के बाद कुछ किसान संगठनों ने खुद को आंदोलन से अलग कर लिया है तो कुछ किसान नेताओं को सुर बदले हुए नजर आ रहे हैं. सिंघु बॉर्डर काफी हद तक खाली हो चुका है लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) आंदोलन खत्म करने के मूड में नहीं है और मीडिया के सामने उन्होंने रोते हुए ये तक कह दिया है कि अगर आंदोलन खत्म हुआ तो मैं आत्महत्या कर लूंगा.rakesh tikait 2किसान नेता राकेश टिकैट लगातार खबरों में बने हुए हैं और सरकार भी सारे हालातों पर नजर बनाए हुए है. लेकिन कम लोग जानते हैं कि राकेश टिकैट एक समय में दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पेक्टर हुआ करते थे और उन्हें किसानी पिता से विरासत में मिली है. इसके अलावा वह करोड़ों रुपये की संपत्ति के मालिक भी हैं.

कौन है राकेश टिकैत?
किसान आंदोलन में सुर्खियां बटोरने वाले राकेश टिकैट दो बार चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं मगर दोनों ही चुनावों में उन्हें हार मिली. राकेश टिकैत के दिवंगत पिता महेंद्र सिंह (Mahendra Singh Tikait) भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष थे. ऐसे में कहा जा सकता है कि,rakesh tikait 1किसानों की राजनीति उन्हें विरासत में मिली है. 4 जून 1969 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली गांव में जन्म लेने वाले राकेश टिकैत ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एम. ए. की पढ़ाई भी की है और एलएलबी करने के बाद वकील बन गए.

किसानों के लिए छोड़ा पद
बात 1993-1994 की है जब राकेश टिकैत के पिता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसान आंदोलन चल रहा था और उस वक्त राकेश टिकैत दिल्ली में सब-इंस्पेक्टर के पद पर तैनात थे. ऐसे में सरकार ने उन पर दबाव बनाया किrakesh tikaitवो अपने पिता को आंदोलन खत्म करने के लिए मनाए. सरकार की तरफ से डाले गए दबाव के बाद राकेश टिकैत ने किसानों के लिए अपना पद छोड़ दिया. तब से अभी तक वह किसानों के लिए लड़ रहे हैं.

कितनी है संपत्ति
राकेश टिकैत साल 2014 में लोकसभा चुनाव के लिए खड़े हुए थे और उनके द्वारा दिए गए शपथपत्र की मानें तो उनके पास 4,25,18,038 रुपये की संपत्ति थी. इसके अलावा उनके पास उस वक्त 10 रुपये कैश था.rakesh tikait kisan unionबता दें, साल 2007 में मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से राकेश टिकैत ने पहली बार निर्दलीय चुनाव लड़ा था. जिसमें उन्हें हार मिली. इसके बाद 2014 में अमरोहा जिले से राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और यहां भी उन्हें हार मिली.

बड़े भाई राष्ट्रीय अध्यक्ष
किसान आंदोलन में राकेश टिकैत के साथ उनके बड़े भाई नरेश टिकैत भी जबरदस्त सुर्खियों में है. राकेश के बड़े भाई भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं जबकि राकेश खुद किसान यूनियन के प्रवक्ता हैं. वहीं उनके छोटे भाई सुरेंद्र मेरक की एक शुगर मिल में मैनेजर हैं जबकि सबसे छोटे भाई नरेंद्र खेती करते हैं. इन चारों भाईयों को खेती और किसानों की राजनीति पिता से विरासत में मिली है जिसे अब चारों मिलकर आगे बढ़ा रहे हैं.