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कश्मीर में 33 साल बाद बड़े पर्दे की वापसी, LG ने किया 2 सिनेमा हाल का उद्घाटन, सबसे पहले चलेगी शाहरुख की ये फिल्म

बारामूला और हंदवाड़ा में शनिवार को 33 साल बाद सिनेमा हाल की वापसी हुई. जम्मू और कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) ने उत्तरी कश्मीर के इन दो कस्बों में 100 सीटों वाले दो सिनेमा हाल (Movie Halls) का उद्घाटन किया. यह कदम पिछले कुछ दशकों में आतंकवाद के कारण बंद पड़े सिनेमाघरों को फिर से खोलने, आम जनता के थिएटरों में जाने के कल्चर को फिर से जिंदा करने, मनोरंजन के विकल्पों को बढ़ाने और अगस्त 2019 के बाद बहाल हुई सामान्य स्थिति के संदेश को बढ़ावा देने के लिए उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाले केंद्र शासित राज्य (UT) के प्रशासन के निरंतर अभियान का हिस्सा हैं.

पिछले साल ही मनोज सिन्हा ने शोपियां और पुलवामा में सिनेमा हाल का उद्घाटन किया था. श्रीनगर में भी एक मल्टीप्लेक्स बना था. उपराज्यपाल सिन्हा ने हर जिले में एक मूवी थिएटर बनाए जाने का संकल्प लिया है और कहा है कि इस राज्य के लोगों को ‘बड़े पर्दे पर सिनेमा देखने का अनुभव’ फिर से मिलना चाहिए. आतंकवाद से पहले जम्मू और कश्मीर एक समय में सिनेमा का स्वर्ग और कई मशहूर बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग का केंद्र था. शनिवार को बारामूला और हंदवाड़ा के सिनेमा हाल के उद्घाटन समारोह में मनोज सिन्हा ने लोगों को इस महत्वपूर्ण मौके के लिए बधाई दी और फिल्म थिएटरों को जम्मू-कश्मीर की बढ़ती आकांक्षाओं का प्रतिबिंब बताया.

जम्मू-कश्मीर में पब्लिक-प्राइवेट भागीदारी के तहत बनाए गए नए फिल्म थिएटरों में युवाओं के लिए एक कैफे, सम्मेलन और सेमिनार की सुविधा भी है. इन सिनेमा थिएटरों में जल्द ही शाहरुख खान की फिल्म ‘पठान’ का प्रदर्शन किया जाएगा. गौरतलब है कि 1990 तक बारामूला में दो थिएटर थे, रिगिना और सेना द्वारा संचालित थिमया. लेकिन आतंकवाद फैलने के बाद इन्हें बंद करना पड़ा. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बारामूला में कई विकास परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया. सिन्हा ने कहा कि बारामूला एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट से इंस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. इसने विकास की दिशा में प्रभावशाली प्रगति की है.

जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने सभी के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि हाशिए पर रहने वाले वर्गों का सरकारी संसाधनों पर पहला अधिकार है. ‘सबका साथ, सबका विकास’ की दृष्टि ने वंचितों के जीवन में बदलाव किया है.