भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे जम्मू-कश्मीर के विवाद पर तुर्की सदा मुखर होकर पाकिस्तान का समर्थन करता आया है। परंतु सूत्रों के हवाले से खबर के मुताबिक, अब वह जम्मू-कश्मीर को लेकर एक नई साजिश रच रहा है। तुर्की पूर्व सीरिया के अपने लड़ाकों को कश्मीर भेजने की तैयारी में है।
इस्लामिक दुनिया का नेतृत्व करने का ख्वाबग्रीस के एक पत्रकार ने इस साजिश का खुलासा करते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान इस्लामिक दुनिया में सऊदी के प्रभुत्व को चुनौती देकर खुद नेतृत्व की भूमिका में आना चाहते हैं। कश्मीर में भाड़े के लड़ाकों को भेजना भी उनकी इसी रणनीति का हिस्सा है। बता दें कि तुर्की लंबे समय से पूर्वी भूमध्यसागर में ग्रीस-मिस्त्र-साइप्रस के खिलाफ अपना सैन्य गठजोड़ मजबूत कर रहा है।
तुर्की भूमध्यसागर में अपने इस अभियान में पाकिस्तान की भी स्थायी मौजूदगी स्थापित करने में लगा हुआ है। लीबिया, अजरबैजान, आर्मीनिया, यमन और दक्षिणी कुर्दिस्तान में खूनी खेल खेलने के बाद अब तुर्की कश्मीर में अपने खतरनाक लड़ाकों को भेजने की तैयारी में है। इसके तहत, वह पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय के एयरक्राफ्ट और सेना की मौजूदगी को सुनिश्चित करना चाहता है।
कश्मीर में नागोर्नो-काराबाख दोहराने की तैयारी में तुर्की सूत्रों के मुताबिक, काराबाख संघर्ष के बाद तुर्की ने सीरियाई लड़ाकों को कश्मीर में भारत के खिलाफ लड़ने के लिए भेजने की तैयारी शुरू कर दी है। सीरियाई राष्ट्रीय सेना में शामिल हुए गैंग सुलेमान शाह के प्रमुख अबू एस्मा ने कहा है कि तुर्की अधिकारी बाकी गैंग के कमांडरों से भी बातचीत करेंगे और उन लड़ाकों की सूची बनाएंगे जो कश्मीर जाना चाहते हैं।
एस्मा ने कहा कि उनके गैंग से जो लोग कश्मीर अभियान में शामिल होंगे उन्हें 2000 डॉलर की धनराशि दी जाएगी। कई रिपोर्ट्स में ये बात सामने आई थी कि तुर्की ने अपने सीरियाई लड़ाकों को अजरबैजान की मदद के लिए भी भेजा था। आतंकी एस्माने अपने गिरोह से कहा कि कश्मीर भी उतना ही पहाड़ी इलाका है जितना आर्मीनिया का नार्गोनो-काराबाख है। बता दें कि नागोर्नो-काराबाख तुर्की के विस्तार का लक्ष्य था। इसी तरह, जम्मू-कश्मीर में इस्लामिक शासन की स्थापना करने की मंशा रखते हैं तुर्की के राष्ट्रपति इरदुगान।