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कर्नाटक की वो हाईप्रोफाइल सीटें जिन पर है देशभर की नजर, जानिए कहां से कौन है मैदान में

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में वोटों की गिनती शुरू हो चुकी है। शुरुआती रुझानों में बीजेपी-कांग्रेस में कांटे की टक्कर है। बीजेपी 84, कांग्रेस 112, जेडीएस 20 सीटों पर आगे चल रही है। आइए आपको बताते हैं कि कर्नाटक की कौन सी है वो हाईप्रोफाइल सीटें जिन पर है देशभर के लोगों की नजर..

  1. शिगगांव विधानसभा: मुख्यमंत्री बोम्मई लड़ रहे चुनाव

कर्नाटक की सबसे हाईप्रोफाइल सीट है। यहां से मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के खिलाफ कांग्रेस ने यासिर अहमद खान पठान को टिकट दिया था। जेडीएस ने शशिधर चन्नबसप्पा यलीगर को चुनावी मैदान में उतारा था। शिग्गांव विघानसभा निर्वाचन क्षेत्र से बोम्मई लगातार तीन बार से जीतते आ रहे हैं। उन्होंने 2008 से ही इस क्षेत्र पर अपना कब्जा जमाया हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक, यहां हुए पिछले 14 विधानसभा चुनावों में जेडीएस एक बार ही जीत पाई है, जबकी दो बार निर्दलीय उम्मीदवार जीतने में सफल रहे हैं। 8 बार इस सीट पर कांग्रेस को जीत मिली है। हालांकि, कांग्रेस आखिरी बार यहां से 1994 में जीती थी।

  1. वरुणा विधानसभा: पूर्व सिद्धारमैया के खिलाफ मंत्री सोमन्ना मैदान में

राज्य की वरुणा विधानसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मैदान में हैं। सिद्धारमैया के खिलाफ भाजपा ने कर्नाटक सरकार के मंत्री वी. सोमन्ना को उतारा। जेडीएस से डॉ. भारती शंकर उम्मीदवार हैं। 2018 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले टोआडप्पा बासवराजू पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं। उन्हें वरुणा सीट पर 37,000 से ज्यादा वोट मिले थे। 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई। 2008 और 2013 में यहां से कांग्रेस के सिद्धारमैया जीते। 2018 में सिद्धारमैया के बेटे यतीन्द्र एस ने इस सीट पर कांग्रेस का परचम लहराया।

  1. कनकपुरा: कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ भाजपा ने राजस्व मंत्री को उतारा

कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार कनकपुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़े। शिवकुमार के खिलाफ बीजेपी ने राजस्व मंत्री आर अशोक को मैदान में उतारा था। जेडीएस ने बी नागराजू को प्रत्याशी बनाया था। शिवकुमार इस सीट पर 2008, 2013 और 2018 में भी जीत दर्ज कर चुके हैं। कनकपुरा सीट पर हुए पिछले 14 चुनावों में से छह बार कांग्रेस को जीत मिली है। बीजेपी यहां आज तक जीत दर्ज नहीं कर सकी है। एक-एक बार निर्दलीय, जेडीएस, जेडीयू और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार यहां से जीते हैं। वहीं, दो-दो बार जनता पार्टी और जनता दल के उम्मीदवार यहां से जीतने में कामयाब रहे।

  1. चन्नापट्टन: भाजपा के योगेश्वर और कांग्रेस के गंगाधर से भिड़े कुमारस्वामीइस सीट से जेडीएस प्रमुख एचडी कुमारस्वामी मैदान में थे। कुमारस्वामी के खिलाफ भाजपा ने सीपी योगेश्वर और कांग्रेस ने गंगाधर एस. को टिकट दिया था। 2018 में भी कुमारस्वामी यहां से जीते थे। उन्होंने बीजेपी के सीपी योगेश्वर को 21 हजार से ज्यादा वोट से हराया था। चन्नापट्टन सीट पर अब तक दो उपचुनाव समेत पिछले 16 चुनाव में छह बार कांग्रेस को जीत मिली। वहीं, दो-दो बार जनता पार्टी, निर्दलीय और जेडीएस उम्मीदवार जीतने में सफल रहे। जबकि, एक-एक बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल, बीजेपी और सपा को जीत मिली।
  2.  अथणी: बीजेपी के बागी लक्ष्मण सावदी और मुख्य बीजेपी की लड़ाई यहां से कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। लक्ष्मण सावदी हाल ही में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। सावदी के खिलाफ बीजेपी ने महेश कुमाथल्ली ओर जेडीएस ने शशिकांत पदसालगी को मैदान में उतारा था। 2018 में बीजेपी के टिकट पर लड़े सावदी को महेश कुमाथल्ली ने हराया था। तब महेश कांग्रेस उम्मीदवार थे। हालांकि, बाद में बगावत करके वह बीजेपी में शामिल हो गए। इसके बाद हुए उपचुनाव में महेश बीजेपी के टिकट पर जीते थे। सावदी इस सीट से 2004, 2008 और 2013 में भाजपा के टिकट पर जीते थे।
  3. हुबली–धारवाड़ सेंट्रल: बीजेपी के बागी शेट्टार बनाम बीजेपी के नए प्रत्याशी की जंग

इस सीट से कर्नाटक के दिग्गज लिंगाायत नेता जगदीश शेट्टार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। शेट्टार कभी बीजेपी के कद्दावर नेता माने जाते थे। शेट्टार को बीजेपी से टिकट नहीं मिला तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस का दामन थाम लिया। जगदीश शेट्टार हुबली-धारवाड़ सेंट्रल से 6 बार के विधायक हैं। बीजेपी ने इस सीट से महेश तेंगिनाकाई को उम्मीदवार बनाया है।

  1. सिरसी: विधानसभा अध्यक्ष से कांग्रेस के भीमन्ना भिड़े

इस सीट से कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी चुनाव लड़े। हेगड़े को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। हेगड़े के खिलाफ कांग्रेस ने भीमन्ना नाइक को मैदान में उतारा। कागेरी यहां जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। इस सीट पर पिछले पांच चुनाव में भाजपा को जीत मिली है। कांग्रेस को यहां 1989 में आखिरी बार जीत मिली थी।

  1. शिकारीपुर: येदियुरप्पा के बेटे ने लड़ा चुनाव

इस सीट से बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई विजयेंद्र ने चुनाव लड़ा। विजयेंद्र के खिलाफ कांग्रेस ने जीबी मलातेश को अपना उम्मीदवार बनाया था। इस बार येदियुरप्पा खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। येदियुरप्पा यहां से 8 बार विधायक चुने जा चुके हैं। 1983 से ही यह सीट येदियुरप्पा का गढ़ रही है। तीस साल में उन्हें सिर्फ एक बार 1999 में हार का सामना करना पड़ा था। तब उन्हें कांग्रेस के महलिनगप्पा ने मात दी थी।

  1. चित्तपुर: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे हैं चुनावी मैदान में

यहां से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक चुनाव लड़ रहे हैं। प्रियांक के खिलाफ बीजेपी ने मणिकांता राठौड़ को मैदान में उतारा था। 2018 में इस सीट से प्रियांक ने जीत हासिल की थी। प्रियांक को 69,700 वोट मिले थे। 2013 में भी यहां से प्रियांक जीते थे। 2008 के विधानसभा चुनाव में प्रियांक के पिता मल्लिकार्जुन खड़गे यहां से विधायक बने थे। हालांकि, 2009 में लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने यह सीट छोड़ दी थी। इसके बाद हुए उपचुनाव में प्रियांक को बीजेपी के वाल्मीकि नायक ने हरा दिया था।

  1. होलेनरसीपुर: पूर्व पीएम देवेगौड़ा के बड़े बेटे मैदान में

यहां से जेडीएस ने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के बड़े बेटे एचडी रेवन्ना को मैदान में उतारा था। पिछली बार यानी 2018 में भी इस सीट से रेवन्ना ने जीत हासिल की थी। रेवन्ना के खिलाफ बीजेपी ने देवराजे गौड़ा और कांग्रेस ने श्रेयस एम पटेल को उम्मीदवार बनाया था। होलेनरसीपुर सीट देवगौड़ा परिवार का गढ़ है। रेवन्ना के पिता एचडी देवगौड़ा यहां से 1962 में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते थे। इसके बाद लगातार छह बार एचडी देवगौड़ा यहां से जीते। 1989 में देवगौड़ा को कांग्रेस के जी पुत्तस्वामी गौड़ा ने हरा दिया था।

1994 में यहां से देवगौड़ा के बेटे एचडी रेवन्ना यहां से उतरे। उन्होंने पुत्तस्वामी गौड़ा को हराकर पिता की हार का बदला लिया। हालांकि, 1999 में रवन्ना को कांग्रेस के ए डोडेगौड़ा ने हरा दिया। इसके बाद 2004, 2009, 2013 और 2018 में रवन्ना ने होलेनरसीपुर पर कब्जा बरकरार रखा।

11. सोरब सीट: पूर्व सीएम के दो बेटे अलग-अलग पार्टियों से मैदान में

यहां से पूर्व मुख्यमंत्री एस बंगारप्पा के दो बेटे अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़ रहे हैं। मधु बंगारप्पा कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं, जबकि कुमार बंगारप्पा ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा। 2018 के विधानसभा चुनाव में कुमार ने मधु को 3,286 मतों से हराया था। कुमार 2018 के चुनावों से पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे, जबकि सोरब के मौजूदा विधायक मधु जेडीएस से फिर से चुनाव लड़ रहे थे।  मधु 2021 में कांग्रेस में शामिल हो गए। ये दोनों भाई 2004 से एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ते आए हैं, तब उनके पिता एस बंगारप्पा भी जीवित थे।

कुमार ने चार बार 1996 (उपचुनाव), 1999, 2004 और 2018 में सोरब सीट का प्रतिनिधित्व किया है। वह मंत्री के रूप में भी काम कर चुके हैं। 2013 में मधु विजयी रहे थे। दोनों भाई पूर्व में कन्नड़ फिल्म उद्योग से भी जुड़े रहे हैं। कुमार ने एक अभिनेता के रूप में काम किया था जबकि मधु एक अभिनेता और निर्माता के रूप में। अपने पिता की तरह, दोनों ने अतीत में राजनीतिक निष्ठा बदली है।

12. चिकमंगलूर विधानसभा सीट: बीजेपी का गढ़ मानी जाती है

चिकमंगलूर विधानसभा सीट पर 2004 से बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व पर्यटन मंत्री सीटी रवि (CT Ravi) का वर्चस्व कायम है। बीजेपी ने सीटी रवि पर एक बार फिर दांव लगाते हुए 5वीं बार चुनावी दंगल में उतारा है। इस सीट पर आमतौर पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होता रहा है। सीटी रवि बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं, और उनके नाम की चर्चा अगले मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में भी सामने आई थी। 2018 के चुनावों में बीजेपी के सीटी रवि को 70,863 वोट मिले, जबकि दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के बीएल शंकर को मात्र 44,549 हासिल हुए। दोनों के बीच जीत हार का बड़ा अंतराल 26,314 मतों का रिकॉर्ड किया गया था। जबकि इस चुनाव में जेडीएस के हरीश बीएच को मात्र 38,317 वोट ही मिले थे। 2004, 2008 और 2013 के चुनाव भी सीटी रवि ने ही जीते थे।