पुणे के पास पिंपरी चिंचवड़ पुलिस ने एक बहुत ही उलझी हुई हत्या की गुत्थी सुलझा दी है. दरअसल, कर्जदारों से पीछा छुड़ाने के लिए पुणे में एक आदमी ने खुद की ही हत्या का नाटक रच दिया. इतना ही नहीं उसने अपने ही दोस्त की हत्या भी कर दी. आमतौर पर लावारिस लाश मिलने के बाद अगर तफ्तीश के दौरान सुराग नहीं मिलता है तो पुलिस केस बंद कर देती है. न्यूज़ चैनल आजतक से बातचीत करते हुए पिंपरी चिंचवड़ के पुलिस आयुक्त कृष्ण प्रकाश ने अपने पुलिस अधिकारियों की तारीफ करते हुए कहा कि उनके अधिकारियों ने 21 दिन के भीतर बहुत ही कठिन हत्या केस सुलझाया ही नहीं बल्कि हत्या के आरोपी को भी सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है. 29 नवंबर को हिजेवाडी पुलिस स्टेशन में बुधनशाह वाली दरगाह के मौलाना का फोन आया, उन्होंने एक सड़ी हुई लावारिश लाश के बारे में पुलिस को जानकारी दी.
आधी जली हुई लाश मिली पुणे शहर के बानेर इलाके में मुंबई बेंगलुरु हाईवे से सटी इस दरगाह के पीछे एक मैदान में दो से ढाई फीट गड्ढे में एक आधी जली हुई लाश पुलिस ने बरामद की. लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. तफ्तीश के दौरान पुलिस को घटनास्थल से एक वॉलेट, एक ब्लूटूथ और कुछ जले हुए कपड़े मिले. वॉलेट में से एक चिट्ठी पर दो मोबाइल नंबर लिखे हुए मिले. पुलिस अधिकारी ने रिपोर्ट में मौत की वजह चाकू से शरीर पर अनेक बार वार और बाद में शरीर को जलाए जाने की बात कही. लाश बहुत बुरी तरह जली और सड़ी हुई होने के कारण चेहरा पहचान में नहीं आ रहा था. जिस कारण जांच आगे ले जाना कठिन हो रहा था.
चिट्ठी के सहारे आगे बढ़ी जांच
अब पुलिस के सामने जांच आगे ले जाने के लिए सिर्फ उस एक चिट्ठी पर लिखे हुए दो मोबाइल नंबर ही थे. जांच अधिकारी श्री बालकृष्ण सावंत और उनके सहयोगी सागर कांटे इन्होंने उन दो मोबाइल नंबर पर फोन लगाना शुरू किया. दोनों में से एक नंबर स्विच ऑफ बताया गया. वहीं, दूसरे मोबाइल नंबर ने जवाब दिया और उस व्यक्ति को पुलिस ने पुलिस स्टेशन बुला लिया. हालांकि, इससे भी जांच में कोई भी इजाफा नहीं हुआ.
दूसरी ओर पुलिस ने गुमशुदा लोगों के घर के पते निकाले और वहां पर पुलिस टीम को रवाना कर दिया. 1 दिसंबर को जिस एक व्यक्ति को पुलिस स्टेशन बुलाया गया था उसे बहुत पूछे जाने पर याद आया कि एक व्यक्ति ने उससे उसका मोबाइल नंबर मांगा था और यह व्यक्ति पिंपरी-चिंचवड़ इलाके के वाइस सीएम अस्पताल के सामने बैठा हुआ एक भिखारी था. जांच अधिकारी तुरंत पहुंचे और पिंपरी चिंचवड़ वाईसीएम अस्पताल के सामने बैठे हुए कुछ भिखारियों से पूछताछ की. गेट के पास बैठे कुछ लोगों ने कहा कि एक व्यक्ति जिसका नाम संदीप मनकर उम्र 45 वर्ष है वह पिछले कुछ दिनों से गेट के सामने नहीं आया.
अस्पताल के आसपास के सभी सीसीटीवी फुटेज खंगाले हिजेवाडी पुलिस स्टेशन के जांच अधिकारी ने वाइस सीएम अस्पताल के आसपास के सभी सीसीटीवी फुटेज खंगाले, जब सीसीटीवी फुटेज में पुलिस को वह 45 वर्ष का व्यक्ति किसी और व्यक्ति के साथ चलता हुआ दिखाई दिया. पास वाले शिव साईं भोजनालय में यही संदीप मेनकर 25 नवंबर को खाने की थाली खरीदता हुआ भी दिखाई दिया. उसका फोटो भी वहां दर्ज कर लिया गया था. जांच अधिकारी का दिमाग तब ठनका जब उसने देखा कि यह व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के साथ लगातार दो-तीन दिन दिखाई दिया, उसी व्यक्ति के साथ मोटरसाइकिल पर बैठकर जाता हुआ भी दिखाई दिया.
दूसरी ओर गुमशुदा व्यक्तियों में से एक व्यक्ति के घर के बाहर के सीसीटीवी फुटेज में यही 45 वर्ष का संदीप उसी व्यक्ति के साथ मोटरसाइकिल पर आता जाता हुआ भी दिखाई दिया तब पुलिस को यकीन हो गया कि इन दो व्यक्तियों में से एक व्यक्ति ने दूसरे की हत्या की है. लेकिन वह व्यक्ति कौन है यह अभी तक एक पहेली थी. पुणे के वाकड़ इलाके में रहने वाला वह दूसरा व्यक्ति 52 वर्षीय महबूब शेख था. उसके घर में जब पुलिस ने पूछताछ की तो घर से एक लेटर बरामद हुआ जिसमें महबूब शेख ने 7 से 8 लेनदारों के नाम लिखे थे और उन पर आरोप भी लगाया था कि अगर उसकी जान को कुछ हो जाता है तो जिम्मेदार वह 7 से 8 लेनदार होंगे. जांच अधिकारी ने महबूब शेख के घर वालों को आधे जले हुए कपड़े और घटनास्थल से मिला हुआ ब्लूटूथ दिखाया तो घर वालों ने तुरंत पहचान लिया कि कपड़े महबूब शेख के ही हैं.
इसके साथ-साथ महबूब के घर वालों ने बार-बार जोर देकर पुलिस से कहा कि महबूब की मौत के लिए जिम्मेदार चिट्ठी में लिखे हुए लोग ही हैं और उन पर तुरंत सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए. घरवालों से बात करने के बाद बढ़ा पुलिस का शक घर के व्यक्ति का दो-तीन दिनों तक नहीं मिलना और उसकी मौत की बात कहने के बाद भी घर वालों के चेहरे पर कोई दुख ना आना इससे जांच अधिकारी का शक यकीन में बदलता जा रहा था कि हो ना हो महबूब शेख जिंदा है और जो लाश बरामद हुई है वह संदीप मयंकर की ही हो सकती है. जांच अधिकारियों ने महबूब शेख के मोबाइल नंबर की सीडीआर रिपोर्ट निकाली और मोबाइल को ट्रेसिंग पर डाल दिया. लेकिन कुछ पता नहीं चला क्योंकि मोबाइल 29 नवंबर से स्विच ऑफ हो गया था.
लेकिन किसी खबरी ने खुफिया जानकारी दी और जो मोबाइल महबूब शेख इस्तेमाल कर रहा था और जो मोबाइल स्विच ऑफ हो गया था उस मोबाइल के अलग-अलग लोकेशन से ट्रेस मार्क आना शुरु हो गए. 5 दिसंबर तक कोई भी खास जानकारी नहीं मिल पा रही थी. केस सुलझाने के पास आते आते केस और भी उलझता दिखाई दे रहा था. 13 दिसंबर से फिर एक बार महबूब शेख का मोबाइल शुरू हो गया और अलग-अलग शहर की लोकेशन सामने आने लगी. तब पुलिस ने अपने ही स्टाइल में मोबाइल इस्तेमाल करने वाला कहां हो सकता है इसका अंदाजा लगाया और 19 दिसंबर को पुणे से 90 किलोमीटर दूर दौंड रेलवे स्टेशन पर महबूब और उसकी दो बीवी पुलिस के हाथ आ गए.
महबूब को गिरफ्तार कर पुणे लाया गया. पूछताछ के दौरान महबूब ने उसका जुर्म कबूला और सब कुछ साफ-साफ बता दिया कि लेनदार को तकरीबन एक करोड़ से ज्यादा का कर्जा चुकाना उसके लिए मुश्किल हो गया था और पैसा यानी कर्जा चुकाना ना पड़े इसलिए उसने खुद की हत्या का नाटक रच डाला और उसके ही एक पुराने दोस्त जिसका परिवार नहीं था और जो सड़क के किनारे बैठ कर भीख मांग कर अपना दिन गुजारा करता था उसे ही बहला-फुसलाकर पुणे के बानेर इलाके में ले जाकर उसकी हत्या कर दी.