मित्रों इस दुनिया में हर एक व्यक्ति अमीर बनना चाहता है, और वह अमीर बनने के लिये न जाने कितने प्रयास करता रहता है, इसके बावजूद उसको वह प्रगति नही मिल पाती जिसकी उसने इच्छा की थी क्योंकि इंसान की अभिलाशा कभी पूरी नही हो पाती है इसका कारण यह है कि वह एक बाद एक अपेक्षा करता ही रहता है।
इसी क्रम में आज हम एक ऐसे शख्स की बात करने वाले है, जो अपनी मेहनत के बलबूते खरीद डाली बेशकीमती 370 करें। सुनने में आप लोगों को भी काफी बड़ा झटका लगा होगा, पर ये सही है।
दरअसल आज हम जिसकी बात कर रहे है उसका नाम रमेश बाबू है जो एक नाई का काम करता है। रमेश बाबू एक हेयर कट के केवल 150 रुपए लेते हैं और कटिंग भी बहुत कमाल की करते हैं सबका दिल खुश हो जाता है आपको सुनकर अजीब लगेगा रमेश बाबू बताते हैं उन्होंने 14 साल की उम्र से काम करना शुरू कर दिया था वह सुबह लोगों के घरों में पेपर और दूध देने जाते थे और उनको मात्र 100 सैलरी मिलती थी रमेश की मां दूसरों के घरों में काम करती थी पर रमेश की मेहनत से उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है।
आपको बता दें कि रमेश 378 गाड़ियों के मालिक हैं इनका स्टेटस आज यह है कि ये करोड़ों की रोल्स रोयस समेत ऑडी, जगुआर, मर्सडीज, बीएमडब्ल्यू सहित करोड़ो की बेशकीमती गाड़ियां हैं। रमेश के पापा सलून के बिजनेस में बहुत माहिर थे उनकी मृत्यु के बाद सलून का काम रमेश के चाचा ने संभाल लिया था रमेश बाबू 18 साल की उम्र में सलून में काम करना शुरू किए थे रमेश सुबह 6:00 बजे से 2:00 बजे तक लगातार काम करते थे उनकी दुकान पर बहुत ज्यादा ग्राहक आते थे कभी-कभी तो उनको काम करते करते सुबह हो जाती थी रमेश अपनी जिंदगी में कुछ करना चाहते थे उन्होंने एक आइडिया सोचा जिससे उनकी पूरी लाइफ बदल गई गई।
आपकी जानकारी के लिये बता दें कि रमेश ने 1993 में पर्सनल लोन पर एक मारुति ओमनी कार ली गाड़ी लेने के दो-तीन महीने बीत गए पर रमेश के पास लोन वापस करने के लिए पैसे नहीं थे रमेश की मां नंदनी के घर पर काम करती थी जहां से उनको यह आइडिया मिला था क्यों ना अपनी कार रेंट पर दिया रमेश ने जब गाड़ी का काम शुरू किया था तो उनके पास कोई कार चलाने वाला नहीं था नंदनी बताती है कि रमेश ने खुद से गाड़ी चलाना शुरू किया फिर अपना बिजनेस धीरे-धीरे बढ़ा लिया रमेश ने फिर कभी पीछे नहीं देखा उनको साढे 3 करोड़ की रोल्स रोयस खरीदनी थी जो रमेश लेने के लिए सोच रहे थे रमेश बाबू सबसे अलग करना चाहते थे. फिर एक दिन वो आया जिसका रमेश बाबू का सपना था।
फिर वर्ष 2011 में रमेश ने एक रोल्स रोयस ली जिसको 50,000 रेट से किराए पर देते हैं केवल एक रोल्स रॉयल में ही हर महीने 15 लाख की कमाई होती है तो फिर औरों से कितना पैसा कमाते होंगे सोचिए रमेश आज भी नहीं नाई का काम करते हैं और रोज सलून पर जा कर बैठते हैं उनका मानना है सलून चलाना ही उनका मेन बिजनेस है और वह इस काम को कभी नहीं छोड़ सकते जबकि रमेश बाबू आज इतने बड़े आदमी हो गए हैं। इस जानकारी के संबंध में आप लोगों की क्या प्रतिक्रियायें है।