देश-विदेश में चर्चा में रहे माफिया अतीक अहमद (ateek Ahmed) और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ (ashraf) की हत्या के मामले (murder cases) में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने चार्जशीट तैयार कर ली है। इस हफ्ते में एसआईटी (SIT) अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर देगी। 15 अप्रैल को हुए इस बहुचर्चित हत्याकांड की एसआईटी जांच में 86 दिन बाद वहीं फंसी रह गई जहां पहले दिन थी। जांच दल बस तीन कदम यानि शूटर लवलेश, सनी सिंह और अरुण मौर्य के नाम तक ही चल सका। कोई नया तथ्य सामने नहीं आ सका। जांच दल अब मौका-ए-वारदात से पकड़े गए तीनों शूटरों सनी सिंह, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्या के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी कर रहा है।
पांच बार विधायक और सांसद रह चुके इंटरस्टेट गैंग के सरगना माफिया अतीक अहमद और उसके भाई की हत्या की साजिश किसने रची, तीनों शूटरों ने किसके कहने पर इस घटना को अंजाम दिया, इन्हें किसने, कब और कहां ट्रेंड किया, इन सवालों पर देशभर की निगाहें लगी हैं पर 82 दिन बाद भी इसका जवाब नहीं मिल सका। पुलिस के पास 15 अप्रैल की रात घटनास्थल यानी काल्विन अस्पताल से पकड़े गए बांदा के लवलेश तिवारी, हमीरपुर के सनी सिंह और कासगंज के अरुण मौर्या के अलावा कोई चौथा नाम नहीं है।
चार्जशीट दाखिल करने में पुलिस ने कई आधार बनाए हैं। एसआईटी इन तीनों शूटरों के गांव-मोहल्ले तक पहुंची। पड़ोसियों, रिश्तेदारों, दोस्तों के साथ ही उनके भी बयान दर्ज किए, जिससे इन तीनों की किसी बात को लेकर अनबन या दुश्मनी चल रही थी। इनसे हुई पूछताछ का हवाला देते हुए चार्जशीट के लिए तैयार हो रही रिपोर्ट में लिखा जा रहा है कि तीनों बहुत ही मनबढ़ हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ दिल्ली के गोगी गैंग, सुंदर भाटी गैंग से जुड़े रहे। पुलिस अभिरक्षा और मीडिया की मौजूदगी में अतीक और अशरफ की हत्या जैसा दुस्साहिक कदम उठाने के पीछे इनका मकसद नाम कमाना और रातोंरात डॉन बन जाना ही था। उमेश पाल हत्याकांड के बाद नेशनल चैनलों पर जिस तरह से हर वक्त अतीक-अशरफ और उसके गैंग की खबरें चल रहीं थी उसे देखकर इन्हें लगा कि रातों रात बड़े माफिया की हत्या कर खुद माफिया कहलाना आसान होगा।
तुर्किये की जिगाना भी जोड़ न सकी कड़ी
अतीक-अशरफ की हत्या में इस्तेमाल हुई तुर्किये की ऑटोमेटिक पिस्टल जिगाना सर्वाधिक चर्चा में रही। विदेशी पिस्टल के सहारे एसआईटी जांच को आगे ले जाने में सफल नहीं हो सकी। हत्यारोपियों ने कुबूल किया कि जो पिस्टल हत्याकांड में इस्तेमाल की गई वह मेरठ के कुख्यात शूटर जितेंद्र गोगीं ने दो साल पहले सनी सिंह को दी थी। जितेंद्र गोगी की गिनती दिल्ली के मोस्ट वॉन्टेड गैंगस्टर्स में होती थी, जिसकी 2021 में दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में हत्या कर दी गई थी। गोगी की मौत के कारण विदेशी पिस्टल से अतीक की हत्या का राज भी बाहर नहीं आ सका। शूटरों ने बयान दिया कि तुर्किये की पिस्टल मेरठ से दिल्ली भागते समय जितेंद्र गोगी ने सनी सिंह को रखने के लिए दी थी। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में लवलेश के मैसेज को भी दर्ज किया है। उसने सोशल मीडिया पर जिगाना पिस्टल के साथ अपनी फोटो लगाकर लिखा था, ‘जिस दिन दिमाग हुआ खराब, उस दिन करूंगा सबका हिसाब।’
न्यायिक आयोग भी कर रहा जांच
शासन ने इस मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का भी गठन किया है। जिसका अध्यक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस दिलीप बाबा साहेब भोसले को बनाया गया है। झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस वीरेंद्र सिंह इससे उपाध्यक्ष तो इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरविन्द कुमार त्रिपाठी, पूर्व पुलिस महानिदेशक आईपीएस सुबेश कुमार सिंह और अवकाश प्राप्त जिला न्यायाधीश बृजेश कुमार सोनी इसके सदस्य हैं। न्यायिक आयोग प्रयागराज का कई बार दौरा कर घटना स्थल का मुआइना भी कर चुका है। घटना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े तमाम लोगों के बयान भी दर्ज किए जा चुके हैं।