चीन की विस्तारवादी नीति का मुंह तोड़ जवाब देते हुए भारतीय सैनिकों ने लद्दाख में 1597 किमी. लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) बार्डर को सुरक्षित रखने के लिए अपनाी पोजिशन को बदल दी है। इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि चुशुल सेक्टर में चीनी सेना की घुसपैठ की कोशिश को नकाम करने के बाद भारतीय सेना ने अपने पोजिशन को पहले से और मजबूत कर लिया है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि पीएलए वायु सेना की गतिविधि अक्साई चिन क्षेत्र में बढ़ गई है। ममाले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय सेना अब लद्दाख के संवेदनशील क्षेत्रों में किसी भी चीनी पीएलए परिवर्तन को पूर्व-खाली करने के लिए एक सुरक्षित सीमा मोड में है।”
वहीं वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारतीय सेना के स्थान में बदलाव चीनी आक्रमण को ध्यान में रखते हुए किया गया है, जिससे सभी पोस्ट का बचाव किया जाए। भारतीय सैनिकों ने 1962 के युद्ध के बाद चीन का डाटकर सामना करने के लिए उठाए गए विशेष फ्रंटियर फोर्स जैसे विशेष सुरक्षा बलों को तैनात करके सेक्टर में चीनी सैनिकों के लगातार बढ़ोत्तरी को मुंहतोड़ जवाब दिया है। एसएफएफ सैनिकों का चीनी पीएलए को पीछे हटाने में प्रमुख भूमिका अदा की थी। तब इस क्षेत्र पर भारतीय सैनिकों का कब्जा है। भारतीय सेना ने डेमसांग के मैदान में एक युद्ध समूह तैनात करके एक विशेष पहल की है, जो चूमर में पीएलए को संकेत देने के लिए एक अन्य लड़ाकू समूह से मेल खाता है।
वहीं, पीएलए जनरल सेक्रेटरी शी जिनपिंग ने भारतीय सेना पर आरोप लगाया है कि भारतीय सैनिकों ने सीमा की स्थिति को बदला है। उनके मुताबिक चीनी सैनिक घुसपैठ के लिए कोई प्रयास नहीं किए हैं। वहीं एक एक वरिष्ठ अधिकारी ने बाता कि पीएलए को घुसपैठ से कोई लाभ नहीं मिलने वाला है, क्योंकि वह साल भर 3,488 किलोमीटर की एलएसी सैनिकों को तैनाती नहीं कर कर सकता है।” हालांकि, सैन्य और राजनयिक बातचीत जारी हैं, लेकिन भारतीय सेना के जवान मौके के लिए कुछ नहीं छोड़ रहे हैं और सबसे खराब स्थिति के लिए तैयार हैं।