भारत विविधताओं से भरा देश है. यहां कई ऐसे शहर और गांव हैं, जहां आज भी पुरानी परंपराओं (Traditions) को निभाया जाता है. ऐसी ही एक अनोखी परंपरा गुजरात के छोटा उदयपुर के तीन गांवों सुरखेड़ा, नदासा और अंबल गांव में निभाई जाती है. इन तीनों गांवों में आदिवासी रहते हैं. इन गांवों में आज भी दूल्हा अपनी शादी में नहीं जाता है. सुनकर चौंक गए न आप! लेकिन यह बात बिल्कुल सच है. इन गांवों में दूल्हे के बिना शादी की जाती है और दूल्हे की जगह उसकी बहन बारात लेकर दुल्हन के घर जाती है. ननद ही भाभी के साथ शादी की सारी रस्मों (Wedding Rituals) को निभाती है. दूल्हे की बहन दुल्हन के साथ सात फेरे भी लेती है. उसके बाद वह भाभी को घर लेकर आती है. शादी में दूल्हा शेरवानी पहनता है और सिर पर साफा बांधता है. लेकिन वह दुल्हन के घर जाने के बजाय मां के साथ घर पर ही दुल्हन के आने का इंतजार करता है.
इन तीनों गांवों में आदिवासी रहते हैं. यहां के लोगों का मानना है कि इस परंपरा से शादी करना शुभ होता है. अगर कोई इस परंपरा से शादी नहीं करता है तो दूल्हा-दुल्हन का वैवाहिक जीवन खराब हो जाता है. उनके जीवन में समस्याओं का अंबार लग जाता है. इस परंपरा के पीछे एक पौराणिक कथा है. कथा के मुताबिक, तीन गांवों सुरखेड़ा, सानदा और अंबल के ग्राम देवता अविवाहित हैं. इसलिए उनको सम्मान देने के लिए यहां के दूल्हे घर पर ही रहते हैं. मान्यता के मुताबिक, ऐसा करने से दूल्हा-दुल्हन का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है.