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एक्टर सोनू सूद के कारनामे से गदगद हुआ निर्वाचन आयोग, पंजाब राज्य का चुना ‘आइकन’

बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद (Sonu Sood) की पॉपुलैरिटी में लगातार इजाफा हो रहा है. इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आई है. बताया जा रहा है कि, निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने उन्हें पंजाब का राज्य ‘आइकन’ चुना है. इस बारे में सोमवार को एक ऑफिशियल बयान के जरिए जानकारी दी गई है. इस बारे में बयानबाजी करते हुए पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एस करुणा राजू की ओर से ये बताया गया कि, उनके कार्यालय ने भारत निर्वाचन आयोग को इस सिलसिले में एक चिट्ठी भेजी थी. जिसे अब मंजूरी दी गई है.

पंजाब के मोगा जिले के स्थानीय निवासी सोनू सूद उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब लॉकडाउन के दौरान उन्होंने प्रवासी मजदूरों का बीड़ा अपने सिर उठाया था. उनकी दरियादिली के लोग उसी वक्त कायल हो गए थे. पूरे देशभर में किसी ने उन्हें अपना भाई तो किसी ने बेटा, तो किसी ने मसीहा बताया. उस संकट हालात में सोनू सूद ने प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए हर तरह की व्यवस्था की, और उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचाया. उनके समाज के प्रति ईमानदारी और दरियादिली की हर किसी ने खुले मन से तारीफ की थी.

कोरोना महामारी के दौर में प्रवासियों को उनके राज्य भेजने के लिए सोनू सूद ने वाराणसी के नाविकों से लेकर कई लोगों के लिए मदद का हाथ बढ़ाया था. इसी बीच एक्टर ने देवरिया के एक गरीब छात्र के सपने को साकार करने की जिम्मेदारी अपने सिर उठाई है. जानकारी के मुताबिक देवरिया का रहने वाला छात्र, कम्प्यूटर इंजीनियर का सपना पूरा करके अपनी मां के हर ख्वाब को हकीकत में बदलना चाहता था. लेकिन इसके बीच में उसकी गरीबी रोड़ा बन रही थी. लेकिन सोनू सूद ने छात्र की इंजीनियरिंग की पढ़ाई का पूरा खर्च खुद उठाने का वादा किया है. सोनू सूद ने सूर्य प्रकाश से ये बात कही कि, मम्मी से बोल देना कि तेरा बेटा इंजीनियर बन रहा है.

देवरिया जिले के लार ब्लॉक के रक्सा गांव में रहने वाले सूर्य प्रकाश यादव कम्यूटर इंजीनियर तो बनना चाहते थे. लेकिन उनके लक्ष्य के बीच परिवार की बिगड़ी हालत आड़े आ रही थी. यहां तक कि सूर्य प्रकाश की आर्थिक स्थिति इतनी सही नहीं थी कि उनको किसी अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमीशन मिल सके. इसलिए 23 सितंबर की बात है जब सूर्य प्रकाश ने सोनू सूद के लिए एक ट्वीट किया. अपने ट्वीट में छात्र ने लिखा कि, ‘सर मेरे पापा नहीं हैं. मां गांव में आशा कार्यकर्ता हैं. हमारी आर्थिक हालत ठीक नहीं है. परिवार की सालाना कमाई 40 हजार रूपये है. यूपी बोर्ड की 10वीं परीक्षा में मेरे 88 प्रतिशत और 12वीं में 76 प्रतिशत थे. मुझे आगे पढ़ना है.’