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उद्धव ठाकरे के बाद शिंदे ने NCP को चौंकाया, एकनाथ खडसे को घर में दे दिया बड़ा झटका

एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत कर बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई है। शिंदे सरकार की स्थापना के बाद से ही विधायकों और सांसदों ने शिंदे गुट का रास्ता चुना है। इस दौरान उद्धव ठाकरे को कई झटके देनें के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की बारी आई। जलगांव में एनसीपी के सैकड़ों कार्यकर्ता शिंदे समूह में शामिल हो गए हैं। यह एनसीपी के कद्दावर विधायक एकनाथ खडसे के लिए बड़ा झटका है।

शिंदे सरकार द्वारा एनसीपी नेता एकनाथ खडसे को एक के बाद एक कई झटके दिए गए हैं। अब एक बार फिर शिंदे गुट के विधायक चंद्रकांत पाटिल ने उन्हें झटका दिया है। जलगांव जिले के बोडवाड़ तालुका के साल्शिंगी गांव के सैकड़ों एनसीपी कार्यकर्ता शिंदे समूह में शामिल हो गए हैं। मुक्ताईनगर के विधायक चंद्रकांत पाटिल ने शिंदे पर भरोसा किया है और उनके गुट में प्रवेश किया है।

मुक्ताईनगर को एकनाथ खडसे का गढ़ माना जाता है। चंद्रकांत पाटिल और खडसे परिवार के बीच पिछले कुछ दिनों से विवाद अपने चरम पर पहुंच गया है। अब चंद्रकांत पाटिल के शिंदे गुट में शामिल होने के बाद खड़से के खिलाफ मोर्चा खुल गया है।

एकनाथ खडसे को शिंदे सरकार का दोहरा झटका
इस बीच महज दो दिन पहले शिंदे समूह और भाजपा गठबंधन सरकार ने एकनाथ खड़से को बड़ा झटका दिया है। खड़से की पत्नी की अध्यक्षता वाली जिला दुग्ध सहकारी समिति में पिछले दिनों हुई अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच के लिए सरकार की ओर से एक कमेटी का गठन किया गया है। वहीं, मौजूदा संचालक मंडल को बर्खास्त कर जिला दुग्ध संघ में प्रशासक नियुक्त कर दिया गया है।

जिला दुग्ध संघ के पूर्व मंत्री एवं पूर्व सुरक्षा अधिकारी नागराज पाटिल ने जिला दुग्ध संघ के प्रशासन में अनियमितता और इस दुग्ध संघ में कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में भारी कदाचार की शिकायत सरकार से की थी। शिकायतकर्ता नागराज पाटिल ने कहा कि पूर्व की महाविकास अघाड़ी सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। नई सरकार ने शिकायत का संज्ञान लेते हुए इस मामले में पांच सदस्यीय जांच समिति नियुक्त की है।

जलगांव जिले में एकनाथ खडसे का एकमात्र जिला दुग्ध संघ था। हालांकि, शिंदे और भाजपा गठबंधन सरकार ने जगह के कुप्रबंधन की जांच के लिए एक समिति नियुक्त की और दूसरी ओर मौजूदा निदेशक मंडल को बर्खास्त कर दिया और तुरंत एक प्रशासक नियुक्त कर दिया। इसे एकनाथ खड़से के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है और कहा जा रहा है कि इससे एकनाथ खड़से की मुश्किलें और बढ़ेंगी जो पहले ही कई दौर की जांच में सामने आ चुके हैं।