सरकार (Government of Uttarakhand) यदि चाह ले तो कुछ भी विकास कार्य असंभव नहीं है। वैसे तो हर राज्य सरकार और केंद्र की सरकार अपनी जनता के लिए तमाम योजनाए चला रही हैं, लेकिन जब इस तरह के प्रयास सामने आते हैं तो सुनकर आनन्द कुछ अधिक बढ़ जाता है। दरअसल, हम बात कर हैं, धर्मनगरी ऋषिकेश (Dharmanagari Rishikesh) में आईएसबीटी (ISBT) से त्रिवेणी घाट (Triveni Ghat) और त्रिवेणी घाट से नीलकंठ महादेव और पार्वती मंदिर (Parvati Temple) तक छह किलोमीटर लंबा रोपवे ( Ropeway) बनाने की । इसके बनते ही 36 किलोमीटर की इस दूरी को छह किलोमीटर में बदल दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि ऋषिकेश प्रशासनिक द़ष्टि से एक नगर निगम है, लेकिन साल भर यहां आने वाले श्रदालुओं और पर्यटकों की जनसंख्या इतनी अधिक रहती है कि वह स्थानी आबादी से कई कई बड़ी हो जाती है. नतीजा टूरिस्ट सीजन में ऋषिकेश की व्यवस्थाएं सिरे से पटरी से उतर जाती हैं और हालात बेहाल हो जाते हैं, ऐसे में इस बात पर जोर दिया जा रहा था कि कैसे नए रास्ते खोजे जाएं कि यहां जनसंख्या का दबाव सहजता से कम किया जा सके।
इस संबंध में ऋषिकेश के विधायक एवं सरकार में शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल कहते हैं कि पर्यटकों, श्रदालुओं की बड़ी संख्या हर रोज त्रिवेणी घाट, नीलकंठ महादेव मंदिर के दर्शन को जाती है. पार्किंग के अभाव में जाम और तमाम समस्याओं के कारण लोगों को डेढ़ से दो घंटे का समय लग जाता है. रोपवे बनने से 36 किलोमीटर की यह दूरी 21 मिनट में तय हो जाएगी. आईएसबीटी से त्रिवेणी घाट की दूरी 28 किलेामीटर है और टूरिस्ट सीधे रोपवे से घाट पहुंच सकेंगे. घाट से नीलकंठ महादेव मंदिर की दूरी 8 किलोमीटर है. उन्होंने कहा है कि इस रोप वे का निर्माण पीपीपी मोड में उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन करेगा.
वहीं, मेट्रो कॉरपोरेशन के एमडी जितेंद्र त्यागी का कहना है कि रोपवे के लिए चार स्टेशन बनेंगे. आईएसबीटी, त्रिवेणी घाट, नीलकंठ और पार्वती मंदिर. अगले तीस सालों को टारगेट पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट पर अनुमानित 455 करोड़ का खर्चा आएगा. 6 किलोमीटर लंबे इस रोपवे के लिए 36 टावर लगाए जाएंगे. एक घंटे में एक साइट में एक हजार लोग जा सकेंगे. श्री एमडी जितेंद्र त्यागी का कहना यह भी है कि पर्यटन विकास की दृष्टि से भी ये प्रोजेक्ट फायदेमंद साबित होगा.