उत्तर भारत से हाल ही में एक पश्चिमी विक्षोभ गुजरा है और इसके चलते जम्मू-कश्मीर से लेकर लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड तक कई जगहों पर बारिश और बर्फबारी दर्ज की गई है. पश्चिमी विक्षोभ के आगे जाने के बाद 5 फरवरी से पर्वतीय राज्यों में मौसम साफ बना हुआ है. बारिश की गतिविधियां देखने को नहीं मिल रही हैं. उम्मीद है कि इसी तरह से 8 फरवरी तक जम्मू कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मौसम साफ रहेगा.
यह जानकारी प्राइवेट वेदर एजेंसी (निजी मौसम एजेंसी) स्काईमेट ने दी है. इस बीच एक नया पश्चिमी विक्षोभ जम्मू-कश्मीर की तरफ बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है. यह सिस्टम 8 फरवरी के आसपास जम्मू-कश्मीर के करीब आ जाएगा, लेकिन आगे काफी कमजोर होगा जिसके कारण बहुत व्यापक वर्षा या बर्फबारी उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों में होने की संभावना या आशंका फिलहाल नहीं है. कमजोर होने के साथ-साथ पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी दिशा से होकर आगे बढ़ेगा जिसके कारण पश्चिमी हिमालय भारत के कुछ ही इलाके इससे प्रभावित होंगे.
बदल सकता है मौसम
उम्मीद है कि 9 फरवरी से पहाड़ों पर मौसम करवट लेगा और जम्मू-कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद में कुछ स्थानों पर वर्षा और हिमपात की गतिविधियां शुरू होंगी. यह गतिविधियां 24 घंटों के बाद बढ़ सकती हैं और 10 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के अलावा लद्दाख और उत्तरी हिमाचल प्रदेश में भी कहीं-कहीं पर हल्की बारिश के साथ ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बर्फबारी हो सकती है. लेकिन जैसा कि हमने बताया यह सिस्टम ज्यादा सक्रिय नहीं होगा जिससे व्यापक वर्षा और बर्फबारी की आशंका फिलहाल नहीं है और इन गतिविधियों से पहाड़ों पर सामान्य जनजीवन पर भी किसी विपरीत प्रभाव की आशंका फिलहाल नहीं है.
पश्चिमी विक्षोभ का असर
पश्चिमी विक्षोभ के आगे कमजोर होने के कारण ही उत्तर दिशा से चल रही पश्चिमी ठंडी हवाओं की रफ्तार और उनकी दिशा में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होगा जिससे उत्तर भारत के मैदानी राज्यों में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली एनसीआर, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के शहरों में तापमान में जो गिरावट हुई है, यह बनी रहेगी. हालांकि इन मैदानी क्षेत्रों में दिन में मौसम पूरी तरह से साफ और शुष्क रहने की संभावना है.
उत्तराखंड में तबाही
उधर उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में रविवार को नंदादेवी ग्लेशियर के एक हिस्से के टूट जाने से धौली गंगा नदी में विकराल बाढ़ आई और हिमालय के हिस्सों में बड़े पैमाने पर तबाही हुई. तपोवन-रेनी में एक विद्युत परियोजना में काम करने वाले 150 से अधिक मजदूरों की मौत की आशंका है. पहाड़ों के किनारे पानी के तेज बहाव में आने से रास्ते में आने वाले घर भी बह गए. अधिक आबादी वाले क्षेत्रों सहित नीचे की ओर स्थित मानव बस्तियों में नुकसान होने की आशंका है. कई गांवों को खाली कराया गया है और लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में पहुंचाया गया है.