भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को बुधवार को कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच राजधानी इस्लामाबाद की एक विशेष अदालत में पेश किया गया। इस दौरान, भ्रष्टाचार विरोधी नियामक ने इमरान की 14 दिन की हिरासत देने की मांग की। इमरान को मंगलवार को देश के अर्धसैनिक बलों ने राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) के आदेश पर उस समय गिरफ्तार कर लिया था, जब वह भ्रष्टाचार के एक मामले में सुनवाई के लिए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में मौजूद थे। पूर्व क्रिकेटर इमरान (70) की गिरफ्तारी के बाद उनकी पार्टी के समर्थकों ने पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन किया।
इस्लामाबाद के सेक्टर एच-11/1 इलाके में स्थित पुलिस लाइन मुख्यालय परिसर के न्यू पुलिस गेस्ट हाउस को इमरान के खिलाफ दो मामलों की सुनवाई के मकसद से विशेष अदालत परिसर घोषित किया गया था। इनमें से पहला मामला अल-कादिर ट्रस्ट से जुड़ा हुआ है, जिसके चलते पाकिस्तान के सरकारी खजाने को कथित तौर पर 50 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ। इमरान को मंगलवार को इसी मामले में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें बुधवार को न्यायमूर्ति मुहम्म्द बशीर की अध्यक्षता वाली विशेष जवाबदेही अदालत में पेश किया गया। न्यायमूर्ति बशीर वही न्यायाधीश हैं, जिन्होंने लंदन में संपत्ति के संबंध में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम को भ्रष्टाचार का दोषी करार दिया था।
हालांकि, बाद में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने मरियम को बरी कर दिया था, जबकि नवाज का मामला अभी भी विचाराधीन है, क्योंकि वह अदालत में पेश होने में नाकाम रहे हैं। सुनवाई की शुरुआत में एनएबी के वकीलों ने अदालत से इमरान के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए उनकी 14 दिन की हिरासत देने का अनुरोध किया। हालांकि, इमरान के वकील ने एनएबी की अर्जी का विरोध करते हुए अपने मुवक्किल को तत्काल रिहा करने की मांग की।
उन्होंने दावा किया कि इमरान पर लगाए गए आरोप झूठे और मनगढ़ंत हैं। न्यायमूर्ति बशीर ने शुरुआती सुनवाई के बाद थोड़े देर का विश्राम लिया। सुनवाई के बहाल होने के बाद उनका फैसला आने की संभावना है। इमरान को तोशाखाना मामले में भी बुधवार को जिला एवं सत्र अदालत में पेश किया जाएगा। यह मामला पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा सरकारी उपहारों की बिक्री से अर्जित आय को छिपाने के आरोपों पर आधारित है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को अदालत परिसर के आसपास इकट्ठा होने से रोकने के लिए व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। यहां तक कि मीडिया और पीटीआई के शीर्ष नेताओं को सुनवाई में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई है।