एक बड़ी सी तोंद किसी को पसंद नहीं होती है लेकिन लाचारी में मोटा आदमी इसे कम भी नहीं कर पाता है। तोंद बढ़ने की समस्या से कई लोग परेशान रहते हैं। तोंद को वैज्ञानिक शब्दावली में एबडोमिनल ओबेसिटी बोला जाता है। इसमें पेट के आसपास चर्बी एकत्रित होने लगती है जिसकी वजह से कमर फैल जाती है। तोंद का बढ़ना बॉडी में फैट की अधिकता को भी दर्शाता है। फैट शरीर के लिए जरूरी है लेकिन ज्यादा होने पर दिल से लेकर डायबिटीज तक की समस्या हो सकती है।
अधिक कैलोरी
अधिक कैलोरी को खाना खाने से और जरूरत से ज्यादा मात्रा में कैलोरी लेने पर आपका वजन और तोंद दोनों बदने लगते हैं। जैसे -जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, उसके शरीर की फैट बर्न करने की क्षमता भी घटती चली जाती है। इसलिए आपको अपनी उम्र के अनुसार कैलोरी लेना चाहिए।
बॉडी फैट डिस्ट्रीब्यूशन में दिक्कत
कुछ मामलों देखा गया है कि शरीर के हार्मोन्स बॉडी के कुछ खास स्थानों पर ही फैट जमा करने लगते हैं। मेनोपॉज के बाद महिलाओं में शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा कम होने लगती है। इस कारण उनके पेट के आसपास फैट एकत्रित होने लगता है। वहीं पुरुषों में फैट डिस्ट्रीब्यूशन की समस्या की वजह से तोंद निकाल आती है।
जैविक कारण
कई बार जेनेटिक कारणों के चलते भी शरीर के कुछ हिस्सों में फैट एकत्रित होने लगता है और वजन बढ़ने लगता है। पुरुषों के मामले में पेट के आसपास होती है। इसलिए यदि आपके घर में बड़ों को तोंद की समस्या है तो जेनेटिक की वजह से आपकी भी तोंद निकलने के चांस बढ़ जाते हैं।
हार्मोन्स
लेप्टिन नाम का एक हार्मोन होता है जो शरीर को पेट भरने का संकेत देता है। शरीर को इसके द्वारा इशारा मिल जाता है कि अब खाना और नहीं खाना है। यदि शरीर में इस लेप्टिन हार्मोन की कमी होती है तो आप पेट भरा हुआ देर से महसूस करते हैं। इस चक्कर में आप अधिक खाते जाते हैं और आपकी तोंद निकाल आती है।
तनाव
तोंद के बाहर निकलने में तनाव बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तनाव की वजह से बॉडी में कोर्टिसोल नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। यह चीज पेट के आसपास फैट जमा करने लगती है। इसी से तोंद निकल आती है। तोंद जैसे जैसे बढ़ती है कोर्टिसोल और भी बढ़ता है। बाइपोलर डिसऑर्डर और सिजोफ्रेनिया की समस्या होने पर भी तोंद बाहर आ जाती है।