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इकबाल अंसारी का नेपाल PM को जवाब- ‘हनुमान जी को गुस्सा आया तो नेपाल का पता भी नहीं लगेगा गया कहां’

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के अयोध्या प्रभु श्री राम पर दिए गए बयान को लेकर एक नई राजनीति शुरू हो गई है. भले ही केपी ओली की कुर्सी को टांका लगा हो, लेकिन अपने विवादित बयानों से वह कभी पीछे नहीं रहते, और शायद यही वजह है कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी उनका खुलकर विरोध कर रही है. बहरहाल इस बीच अयोध्या में बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने केपी ओली के बयान की निंदा करते हुए उन्हें करारा जवाब दिया है. ”उन्होंने केपी ओली को जवाब देते हुए कहा कि राम के सेवक हनुमान जी को अगर गुस्सा आया तो नेपाल का पता भी नहीं लगेगा कि वो कहां गया”. बता दें कि बीते दिनों नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने अयोध्या प्रभु श्री राम पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि उनका जन्म नेपाल में हुआ है. वह नेपाल के वंशक हैं. भारत ने सांस्कृतिक अतिक्रमण के लिए नकली अयोध्या का निर्माण किया है, जबकि असली अयोध्या नेपाल में है. हालांकि पूरी दुनिया यह जानती है कि अयोध्या प्रभु श्री राम की जन्मस्थली है, लेकिन नेपाल के पीएम ने फिजूल ही इस मामले को राजनीतिक रंग दे दिया है. अब लोग जमकर उनकी किरकरी कर रहे हैं.

 

ओली ने सवाल किया कि उस समय आधुनिक परिवहन के साधन और संचार नहीं थे तो राम जनकपुर तक कैसे आए. उनके इस बयान पर भारत में धर्मगुरुओं की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. इसी कड़ी बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने भी नेपाल पीएम केपी ओली को जमकर फटकार लगाई. अंसारी ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली को

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तो अपने धर्म के बारे में जानकारी नहीं है. नेपाल में हिंदू विरोधी कार्य किया जाता है. वहीं नेपाल के प्रधानमंत्री अयोध्या के बारे में नहीं जानते, न ही वह अयोध्या कभी घूमे हैं. वह अगर कभी अयोध्या आए होते तो उन्हें यह जरूर मालूम होता कि यहां पर देवताओं का वास है. भगवान श्रीराम तथा अयोध्या को गलत कहने का अंजाम बहुत बुरा होगा.”

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बहरहाल भगवान राम पर दिए गए विवादित बयान को लेकर केपी शर्मा ओली की टिप्पणी की चौतरफा आलोचना हो रही है. वहीं नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि ओली ने ‘सारी हदें पार कर दी हैं.’ इस बीच, नेपाल सरकार ने मंगलवार को प्रधानमंत्री के बयान के बचाव में सफाई पेश करते हुए कहा कि पीएम ओली के बयान ‘किसी भी राजनीतिक विषय से जुड़े

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नहीं थे’ और उनका इरादा किसी भी तरह से किसी की भावनाओं को ‘आहत’ करने का नहीं था. हालांकि विवाद बढ़ते देख ओली सरकार ने नर्म लहजे में अपनी सफाई पेश की, लेकिन इस बयान के बाद केपी ओली की उनके खुद के देश में ही निंदा होना शुरू हो गई थी.