आर्मेनिया (Armenia) और अजरबैजान (Azerbaijan) के बीच बनी युद्ध की स्थिति अब समाप्त होती नजर आ रही है. दोनों देश नागोर्नो-कारबाख (Nagorno-Karbakh) इलाके में संघर्षविराम समझौते पर सहमत हो गए हैं. इस संघर्षविराम समझौते का समय शनिवार दोपहर से शुरू हो रहा है. दोनों देशों के उच्च राजनयिकों ने इसे लेकर एक बयान जारी किया है. इसमें कहा गया है कि युद्धविराम संधि के तहत दोनों देश एक-दूसरे को बंदियों और मृतकों का आदान-प्रदान करेंगे. इससे जुड़ी अन्य जरूरी चीजों पर आगे चलकर समझौता होगा.
दोनों देशों के राजनयिकों के बीच मॉस्को में हुई 10 घंटे की बातचीत के बाद यह घोषणा हुई. यह बातचीत रूस के विदेश मंत्री सरजई लावरोव की ओर से आयोजित की गई. लावरोह ने कहा कि संघर्षविराम समझौते के बाद दोनों देशों को अपने विवाद सुलझाने का मौका मिलेगा.
आर्मेनिया-अजरबैजान युद्धविराम:
- युद्ध खत्म करने को लेकर दोनों देशों पर काफी अंतरराष्ट्रीय दवाब था.
- 12 अक्टूबर को मास्को में मिन्स्क ग्रुप यानी रूस, अमेरिका और फ्रांस की मीटिंग के बाद युद्धविराम करने की मजबूरी थी.
- रूस ने 12 अक्टूबर की मीटिंग से पहले दोनों विदेश मंत्रियों को बुलाकर सीजफायर करवा कर उस क्षेत्र में अपना वर्चस्व दिखाने की कोशिश की.
- पिछले दिनों फ्रांस की अधिक सक्रियता और जर्मनी जैसे देशों के भी दोनों देशों से बातचीत को रूस अधिक बढ़ने नहीं देना चाहता था.
- पिछले दो-तीन दिनों में लड़ाई ज्यादा भीषण हो गई थी क्योंकि दोनो देश सीजफायर से पहले ज्यादा से ज्यादा इलाके पर अपना नियंत्रण हासिल करने में लगे थे.
- अब सबसे बड़ा सवाल है कि सीरिया, पाकिस्तान या अफगानिस्तान से आए लड़ाके को टर्की कहां और कैसे इस्तेमाल करेगा?
आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच ताजा झड़प 27 सितंबर को शुरू हुई. इस झड़प में सैकड़ों लोग मारे गए. नागोर्नो-कारबाख इलाके को लेकर दोनों देशों के बीच का विवाद दशकों पुराना है लेकिन मौजूदा झड़प ने काफी गंभीर रुप अख्तियार कर लिया था. आर्मेनिया और अजरबैजान के विदेश मंत्रियों के बीच यह बातचीत रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कहने पर हुई.