प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को शिवसागर जिले स्थित जेरेंगा पठार में रहने वाले भूमिहीन मूल निवासियों के लिए 1.6 लाख भूमि पट्टा वितरण अभियान की शुरुआत की. उन्होंने 10 लाभार्थियों को आवंटन प्रमाण पत्र भेंटकर इस अभियान की शुरुआत की. इसके साथ ही उन्होंने मूल निवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज आपकी बहुत बड़ी चिंता दूर हो गई. इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने भी जनसमूह को संबोधित किया.
प्रधानमंत्री मोदी अब तक उद्घाटन और शिलान्यास से संबंधित अपने अधिकतर कार्यक्रमों में डिजीटल माध्यम से जुड़ते रहे हैं. नये साल में यह पहला ऐसा कार्यक्रम है, जब खुद प्रधानमंत्री इसमें शरीक हुए. असम में 2016 में 5.75 लाख मूल निवासी परिवार भूमिहीन थे. राज्य सरकार ने मई 2016 से 2.28 लाख आवंटन प्रमाण पत्र वितरित किए हैं. आज का समारोह इस प्रक्रिया का अगला कदम है. सोनोवाल ने कहा कि आजादी के बाद यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में असम में लोगों को जमीन के ‘पट्टे’ दिये जाएंगे. जेरेंगा पठार का संबंध असम के पूर्ववर्ती अहोम साम्राज्य से है.
इस दौरान एक संक्षिप्त संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि असम के लोगों का आशीर्वाद और आत्मीयता मेरे लिए बहुत बड़ा आशीर्वाद है. पीएम मोदी ने कहा कि एक लाख से ज्यादा मूलनिवासी परिवारों को भूमि के स्वामित्व का अधिकार मिलने से आपके जीवन की एक बहुत बड़ी चिंता अब दूर हो गई है. प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के दिन स्वाभिमान, स्वाधीनता और सुरक्षा के तीन प्रतीकों का समागम हो रहा है.
NDA सरकार ने दूर की बहुत बड़ी चिंता- पीएम
पीएम मोदी ने कहा कि आज असम की सरकार ने आपके जीवन की बड़ी चिंता दूर की है. 1 लाख से ज्यादा मूल निवासी परिवारों को भूमि के स्वामित्व का अधिकार मिलने से आपके जीवन की बड़ी चिंता अब दूर हो गई है. शिवसागर को हमारे सरकार द्वारा भारत के 5 सबसे प्रतिष्ठित पुरातात्विक स्थलों में से एक के रूप में चुना जा रहा है. भारत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती भी मना रहा है. राष्ट्र ने इसे पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है.
उन्होंने कहा कि आज पराक्रम दिवस पर पूरे देश मे अनेक कार्यक्रम भी शुरू हो रहे हैं. इसलिए एक तरह से आज का दिन उम्मीदों के पूरा होने के साथ ही, हमारे राष्ट्रीय संकल्पो की सिद्धि के लिए प्रेरणा लेने का भी अवसर है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2019 में, सरकार द्वारा बनाई गई नई भूमि नीति अपने सही मालिकों को भूमि देने के प्रति समर्पित है. पिछले कुछ वर्षों में, 2.25 लाख से अधिक मूल परिवारों को जमीन का पट्टा दिया गया है. असम की लगभग 70 जनजातियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान की गई है। हम उन्हें तेजी से विकास की ओर भी ले जा रहे हैं. साल 2014 से अटल जी की सरकार से लेकर असम की संस्कृति और सुरक्षा को बनाए रखना हमारी प्राथमिकता रही है.