बीजेपी पार्टी से नेता और भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञा (MP Sadhvi Pragya) अक्सर अपने बयानों के चलते चर्चा में बनी रहती हैं. लेकिन इस बीच वो अपने किसी बयान या राजनीति प्रोपेगेंडा को लेकर सुर्खियों में नहीं हैं, बल्कि अपनी आपबीती को लेकर चर्चाओं में हैं. हाल ही में रिपब्लिक टीवी (Republic tv) से रूबरू होते हुए सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कई बड़े राज से पर्दा उठाया है. उन्होंने जो दर्द अर्नब (Arnab) के सामने सुनाया है, वो वाकई काफी हैरान करने देने वाला है. साध्वी प्रज्ञा ने बताया है कि, उन्हें पुलिस ने इतना पीटा था, जिसके चलते उनकी फेफड़े (Lungs) की झिल्ली फट गई थी.
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की आपबीती
चैनल पर अर्नब गोस्वामी (Arnab Goswami) से बात करते हुए सांसद ने कहा कि, मुझे ये लोग एक होटल में लेकर गए थे, जो राजदूत होटल (Ambassador Hotel) था. यहां पर लाने के बाद इन लोगों ने पलंग पर कुछ वायर बिछाए, कुछ इंस्ट्रूमेंट्स नीचे रखे, ऊपर से बेडशीट बिछाई, उसके बाद मुझे उस पर बिठाया गया. इसके बाद न जाने क्या-क्या उल्टे-सीधे प्रश्न पूछते रहे. इनमें से जितनों के बारे में मुझे जानकारी थी मैनें उसका जवाब दिया. लेकिन जिन प्रश्नों के बारे में मुझे नहीं पता था मैनें उसका कोई जवाब नहीं दिया, मैं इन लोगों के सामने झुकी नहीं.
पूछताछ के दौरान हद से ज्यादा किया था टॉर्चर
आगे साध्वी प्रज्ञा ने ये भी कहा कि, पुलिस (Police) वालों की कही हुई बात को जब मैनें कबूल करने से मना कर दिया तो इन्होंने मुझे खूब टॉर्चर किया, इतना ज्यादा कि, मैं वहीं मैं बेहोश हो गई, इसके बाद गुपचुप तरीके से ये लोग मुझे किसी अस्पताल में लेकर गए, उस अस्पताल का नाम सुश्रुषा हॉस्पिटल था. इसके बाद उस अस्पताल से मेरी जो रिपोर्ट आई जो हैरान करने वाली थी. उसमें ये लिखा था कि, मार लगने की वजह से मेरे फेफड़े की झिल्ली फट गई जिसके कारण मैं बेहोश हो गई, और मेरी सांस रुकी. रिपोर्ट आने के बाद ये लोग मुझे वहां किसी दूसरे हॉस्पिटल में उसी कंडीशन में लेकर गए. वहां पर उन्होंने मुझे ऐसे हालात में पैदल सीढ़ियों पर चलाते हुए ले गए. उस दौरान जानबूझ कर मुझे दूसरे अस्पताल में रखा, ताकि कोई मुझे ट्रेस न कर पाए. इन लोगों ने गैरकानूनी तरीके से मुझे 13 दिन तक वहीं रखा.
अस्पताल में ले जाने वाले कौन-कौन थे
साध्वी प्रज्ञा के इस बयान पर जब अर्णब गोस्वामी ने उनसे ये सवाल किया कि आखिर आपको राजदूत होटल में ले जाने वाले लोग कौन थे. आखिर उनमें कौन से पुलिस वाले शामिल थे. इसका जवाब देते हुए साध्वी ने कहा कि जब मुझे ले जाया जा रहा था, तब सुवरणा शिंदे थी और कोई एक इंस्पेक्टर था और खानविल्कर भी थे, ये सारे उस समय एक साथ ही वहां पर मौजूद थे. इसके साथ ही टीवी चैनल के जरिए सांसद ने ये भी खुलासा किया कि, परमबीर (Parambir) के षड्यंत्र के खिलाफ मैं कुछ कर रही हूं, मुझे टॉर्चर करने में जिन लोगों ने योगदान दिया था इनके खिलाफ मैं केस करुंगी, और उन्हें सजा भी दिलवाऊंगी.
मालेगांव ब्लास्ट केस में प्रज्ञा की हुई थी गिरफ्तारी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, साध्वी प्रज्ञा का पूरा नाम प्रज्ञा सिंह ठाकुर है. जो मध्य प्रदेश के भिंड जिले के कछवाहा गांव में जन्मी थीं. साल 2008 में उन्हें तब पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, जब मालेगांव में ब्लास्ट हुआ था. दरअसल महाराष्ट्र के मालेगांव में अंजुमन चौक और भीकू चौक के बीच शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट के सामने ही 29 सितंबर साल 2009 की रात 9 बजकर 35 मिनट पर जोरदार ब्लास्ट किया गया था. इस धमाके में मौके पर ही 6 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. जबकि 101 लोग घायल हो गए थे.
#SadhviExposesParamBir | परमबीर के षड्यंत्र के विरुद्ध मैं कुछ कर रही हूं, जिन-जिन लोगों ने मुझे टॉर्चर किया मैं उनपर केस करूंगी। इनको दंड दिलवाऊंगी: साध्वी प्रज्ञा- सांसद, BJP
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— Republic Bharat – रिपब्लिक भारत (@Republic_Bharat) October 28, 2020
जानकारी की माने तो रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया था कि घटनास्थल से एक मोटरसाइकिल बरामद हुई थी. एनआईए के हवाले से जारी खबर के मुताबिक ये मोटर साइकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर ही थी. इस खुलासे के बाद ही प्रज्ञा को अरेस्ट कर लिया गया था. यहां तक कि उन पर मकोका भी लगाया गया था. हालांकि साल 2016 में एनआईए ने अपनी नई रिपोर्ट जारी की थी जिसमें उन्होंने प्रज्ञा को निर्दोष करार दिया गया था. इसके साथ ही इन पर लगे मकोका को भी वापस ले लिया गया था.