अमेरिका में कोविड-19 टीकाकरण स्थिति के सत्यापन के लिए वैक्सीन पासपोर्ट बनाया जा रहा है और टीका ले चुके लोगों को मुक्त होकर यात्रा, खरीदारी और बाहर खाना खाने की अनुमति दी जा रही है। ऐसे में यह देश के दोनों दलों के बीच टकराव का नया मुद्दा बन गया है। रिपब्लिकन पार्टी के नेता इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजी स्वास्थ्य विकल्पों को चुनने के अधिकार का हनन मान रहे हैं। वर्तमान में यह व्यवस्था केवल एक राज्य, न्यूयॉर्क में लागू है जहां राज्य सरकार और एक निजी कंपनी के बीच साझेदारी से यह संभव हो पाया है लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के कुछ नेताओं में इसके विरोध में कानूनी प्रस्ताव लाने की होड़ मच गई है।
पासपोर्ट, महामारी से निपटने का समझदारी भरा उपाय है या सरकारी हस्तक्षेप, यह एक साल से बहस का मुद्दा है। वैक्सीन पासपोर्ट वास्तव में एक एप है जिसमें एक कोड है जिससे यह सत्यापित होता है कि किसी को टीका लगा है या हाल ही में उसकी जांच में कोविड-19 की पुष्टि नहीं हुई है। इसका इस्तेमाल इजराइल में किया जा रहा है और यूरोप के कुछ हिस्सों में इसे विकसित किया जा रहा है तथा महामारी से प्रभावित हुए पर्यटन उद्योग को दोबारा खड़ा करने के एक तरीके के रूप में देखा जा रहा है।
इससे लोगों के व्यावसायिक कामकाज धीरे-धीरे शुरू करने में सहायता मिल रही है और स्कूल समेत ऐसे प्रतिष्ठानों में इसका उपयोग किया जा रहा है जहां टीकाकरण का प्रमाण देना अनिवार्य है लेकिन देश के रिपब्लिकन नेता और सांसद इसके विरोध में खड़े हैं। पेंसिल्वेनिया के रिपब्लिकन नेता केरी बेनिंगगोफ ने कहा, हमारे संवैधानिक अधिकार हैं और स्वास्थ्य संबंधी निजता के कानून हैं जो किसी कारण से बनाये गए हैं। उन्होंने कहा, आपदा के समय इन्हें खत्म नहीं किया जा सकता। यह पासपोर्ट कोविड-19 के साथ खत्म हो जाएंगे लेकिन उन अधिकारों का क्या होगा।
राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने वैक्सीन पासपोर्ट के मामले से अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की है। इस सप्ताह संवाददाता सम्मेलन में सेंटर्स फॉर मेडिकेयर एंड मेडिकएड सर्विसेज के कार्यवाहक प्रशासक एंडी स्लेविट ने कहा था कि उनका मानना है कि यह निजी क्षेत्र के लिए परियोजना है, न कि सरकार के वास्ते।
सावधान- वायरस के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन संग कड़ाई भी
कोरोना का टीका लगने के बाद भी संक्रमण की चपेट में आने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ पीटर्सबर्ग के सेंटर फॉर वैक्सीन रिसर्च के निदेशक डॉ. पॉल डुप्रेक्स का कहना है कि टीका लगवा चुके लोगों को संक्रमण का खतरा कम है पर ये नहीं सोच सकते कि टीका लगवा चुके व्यक्ति को संक्रमण नहीं होगा।
न्यूयॉर्क के वेल कॉर्नेल मेडिसिन के वायरोलॉजिस्ट प्रो. जॉन मूरे का कहना है कि टीका संक्रमण के खिलाफ कारगर है ये परीक्षण में पता चल चुका है। ये भी स्पष्ट है कि कुछ भी 100 प्रतिशत नहीं होता है। टीके के असर को कम आंकने का मतलब वायरस को बढ़ावा देना है।
टीका गंभीर स्थिति से बचाने में मददगार…
डॉ. डुप्रेक्स का कहना है,ये स्पष्ट है कि टीका लगवा चुके कुछ लोग संक्रमित हो सकते हैं। टीके से संक्रमण के लक्षण को रोकने के साथ गंभीर स्थिति में जाने से बचाया जा रहा है।