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अब मुरलीधरन ने कहा कि यह भारतीय गेंदबाज ही ले पायेगा 700 से 800 विकेट

नवोदित खिलाड़ियों के कौशल को देख कर वरिष्ठ खिलाड़ी उनका हमेशा हौसला अफजाई करते रहते हैं। इस बार भारतीय स्पिनर आर आष्विन के लिए मुथैया मुरलीधरन ने तारीफ की है। श्रीलंका के महान स्पिन गेंदबाज मुथैया मुरलीधरन ने रविचंद्रन अश्विन को लेकर भविष्य की उम्मीद बताया है। मुरलीधरन ने कहा कि इस समय के स्पिन गेंदबाजों में अश्विन ही काबिल नजर आते हैं जो कि टेस्ट क्रिकेट में 700 या 800 विकेट चटका सकते हैं। आश्विन में यह दक्षता देखने को मिलती है। श्रीलंका के पूर्व स्पिनर ने नाथन लायन को इस लिस्ट में रखने से साफतौर पर इनकार किया। नाथन लायन को मुरलीधरन इस योग्य नहीं मानते हैं। रविचंद्रन अश्विन का प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में बेहद शानदार रहा है तीसरे टेस्ट तक वह छह पारियों के दौरान तीन बार स्टीव स्मिथ को आउट कर चुके हैं। अश्विन ने सिडनी टेस्ट में अपनी बल्लेबाजी के दम पर भारतीय टीम की हार को टाला था। क्रिकेट जगत में इस पारी की तारीफ हो रही है। लंदन के टेलीग्राफ अखबार के लिए माइकल वॉन के कॉलम में मुरलीधरन ने कहा कि अश्विन के पास मौका है, क्योंकि वह बेहतरीन गेंदबाज हैं।

मुरलीधरन ने कहा कि आश्विन के अलावा कोई और गेंदबाज 800 तक नहीं पहुंच सकता। नाथन लायन में वह काबिलियत नहीं। वह 400 विकेट के करीब हैं लेकिन वहां पहुंचने के लिए काफी मैच खेलने होंगे। मुरलीधरन ने कहा कि टी20 और वनडे क्रिकेट से सब कुछ बदल गया। जब मैं खेलता था तब बल्लेबाज तकनीक के धनी होते थे और विकेट सपाट रहते थे। अब तो तीन दिन में मैच खत्म हो रहे हैं। मेरे दौर में गेंदबाजों को नतीजे लाने और फिरकी का कमाल दिखाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने पड़ते थे। आजकल लाइन और लैंथ पकड़े रहने पर पांच विकेट मिल जाते हैं। आक्रामक खेलते समय बल्लेबाज लंबा नहीं टिक पाते। तेजी से रन बनाने के चक्कर में बल्लेबाज विकेट फेंक देते हैं।

अनिल कुंबले, सकलेन मुश्ताक अहमद और बाद मे हरभजन सिंह के समय में खेलने वाले मुरलीधरन ने कहा कि उस समय स्पिनरों को विकेट के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी। यही वजह है कि दूसरी गेंदें तलाशने पर काम करते थे। अब टी-20 के आने से विविधता में बदलाव आया है। क्रिकेट में तेजी आयी है और तकनीकी दक्षता कम हुई है। मुरलीधरन ने डीआरएस के आने के बाद सिर्फ एक श्रृंखला 2008 में भारत के खिलाफ खेली और उनका मानना है कि उस समय इस तकनीक के इस्तेमाल से उनके विकेट और अधिक होते । उन्होंने कहा कि मैं यही कहूंगा कि डीआरएस होता तो मेरे नाम और भी विकेट होते क्योंकि तब बल्लेबाज पैड का इस्तेमाल इतनी आसानी से नहीं कर पाते। उन्हें संदेह का लाभ मिल जाता था। बल्लेबाज को मिले लाभ का नुकसान गेंदबाज को उठाना पड़ता था।