पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पश्चिमी देशों की सरकारों से शनिवार को आग्रह किया कि वे पैगंबर का अनादर करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें। मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे संदेश जानबूझकर फैलाने वालों को उसी प्रकार दंडित करें जिस तरह से उन्होंने नाजी जर्मनी द्वारा यहूदियों के नरसंहार के खिलाफ किसी नकारात्मक टिप्पणी को प्रतिबंधित किया है। इमरान खान ने एक कट्टरपंथी धार्मिक समूह द्वारा हाल ही में हिंसक विरोध-प्रदर्शन हुआ। इस प्रदर्शन के दौरान सात लोगों की मौत और 300 लोग घायल हो गये। इमरान ने इस मामले में कई ट्वीट किये और कहा कि मुसलमान अपने पैगंबर की किसी भी तरह की ईशनिंदा बर्दाश्त नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि मैं उन पश्चिमी देशों की सरकारों का भी आह्वान करता हूं जिन्होंने नाजी जर्मनी की ओर से यहूदियों के नरसंहार से इनकार करने वाली टिप्पणियों को प्रतिबंधित किया है कि वे उन लोगों को दंडित करने के लिए भी वही मानक अपनायें जो पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी करके मुस्लिमों के खिलाफ जानबूझकर नफरत वाले संदेश फैला रहे हैं।
उन्होंने पाकिस्तान में हुई हिंसा के बाद यह बयान दिया है। 1930 और 1940 के दशकों में यूरोप में लगभग 60 लाख यहूदियों का नाजी जर्मनी द्वारा नरसंहार किये जाने की घटनाओं से इनकार के खिलाफ कई यूरोपीय देशों एवं इजराइल में कानून हैं। कई देशों में व्यापक कानून भी हैं जो इस नरसंहार से इनकार किये जाने को अपराध बनाते हैं। इमरान खान ने कहा कि विदेशों में उन चरमपंथियों और इस्लामोफोबिया एवं नस्ली टिप्पणी में लिप्त होने वालों को दुनिया भर के 1.3 अरब मुसलमानों के पैगंबर के प्रति प्रेम को समझना चाहिए। किसी भी तरह की अशोभनीय टिप्पणी नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने ट्वीट किया कि हम मुसलमानों में पैगंबर के लिए बहुत प्रेम और सम्मान है जो हमारे दिलों में बसते हैं। हम इस तरह का कोई भी अपमान और दुव्र्यवहार बर्दाश्त नहीं कर सकते। उन्होंने साथ ही पश्चिम में उन चरमपंथी समूहों को मुस्लिमों से ‘जानबूझकर‘ उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए माफी मांगने के लिए भी कहा। इमरान का यह ट्वीट ऐसे समय आया है जब उनकी सरकार ने पिछले साल फ्रांस में प्रकाशित एक ईशनिंदा कार्टून को लेकर फ्रांसीसी राजदूत को पाकिस्तान से निष्कासित करने की मांग हो रही है।
इस मांग पर हिंसक विरोध-प्रदर्शनों के बाद बृहस्पतिवार को कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी तहरीक-ए-लबाइक पाकिस्तान (टीएलपी) पर प्रतिबंध लगा दिया है। टीएलपी ने सोमवार को तब विरोध-प्रदर्शन शुरू किया था जब पैगंबर के कार्टून के प्रकाशन को लेकर फ्रांसीसी राजदूत को देश से निष्कासित करने के लिए भीड़ सड़कों पर आ गयी। 20 अप्रैल समयसीमा से पहले संगठन के प्रमुख साद हुसैन रिजवी को गिरफ्तार कर लिया गया था। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सरकार ने पिछले नवंबर में टीएलपी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें फ्रांसीसी राजदूत को निष्कासित करने पर सहमति व्यक्त की गई थी। सरकार ने टीएलपी को आतंकवाद कानून के तहत प्रतिबंधित किया था।