तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद से ही अफगानिस्तान (Afghanistan) के हालात खराब चल रहे हैं. एक अरबी मीडिया आउटलेट के अनुसार, अफगानिस्तान में चल रहे मानवीय संकट (Humanitarian Crisis in Afghanistan) के लिए तालिबान का निर्माता, आयोजक और संरक्षक पाकिस्तान (Pakistan) जिम्मेदार है. अल अरबिया पोस्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान अफगान लोगों की सहायता का लाभ उठाने के लिए ‘मान्यता देने वाले कार्ड’ का इस्तेमाल एक टूल के रूप में कर रहा है.
अर अरबिया पोस्ट के मुताबिक, देश पर नियंत्रण रखने वाला तालिबान अफगान लोगों की देखभाल करने में असमर्थ रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी थी कि अफगानिस्तान की लगभग आधी आबादी को वर्तमान समय और अगले साल मार्च के बीच खाद्यान्न संकट (Afghanistan Hunger Crisis) का सामना करेगी. इसने आगे कहा कि मानवीय मोर्चे पर चीजें बदतर होती जा रही हैं. तालिबान के कब्जे के बाद से ही अफगानिस्तान को मिलने वाली विदेशी सहयता बंद हो गई है. इसकी वजह से देश की स्थिति बिगड़ती जा रही है.
महिलाओं, बच्चों और विकलांग लोगों का जोखिम बढ़ा
अफगानिस्तान पर मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) की नवीनतम रिपोर्ट मानवतावाद या राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मानवीय सहायता का लाभ उठाने के प्रयासों के बारे में चिंता दर्शाती है. इसके अलावा, महिलाओं, बच्चों और विकलांग लोगों सहित लोगों के लिए रक्षा और सुरक्षा जोखिम भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच रहे हैं. तालिबान द्वारा सालों से की जा रही हिंसा को अफगान लोगों ने लगभग स्वीकार कर लिया. हालांकि, छोटे-छोटे पैमाने पर विरोध देखने को मिला.
अफगान लोगों के प्रति जिम्मेदार है पाकिस्तान
अफगानिस्तान में साल 2001 के बाद से बीस सालों तक कुछ हद तक शांति देखने को मिली. हालांकि, देश में आतंकी घटनाएं सामने आती रहीं. इस बीच, IFFRAS के आंकड़ों से पता चलता है कि 95 प्रतिशत से अधिक अफगानों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं है. पाकिस्तान के लिए अफगान लोगों (Pakistan Role in Afghanistan) के प्रति एक बड़ी जिम्मेदारी है, क्योंकि इसने तालिबान को शुरू से ही पोषिथ, संगठित और समर्थन देने का काम किया जाएगा.
अल अरबिया पोस्ट के अनुसार, यदि पाकिस्तान अफगान लोगों की मदद करने के लिए गंभीर है, तो उसे भारत से अपने क्षेत्र में मानवीय सहायता को गुजरने की अनुमति देनी चाहिए. दरअसल, भारत ने भूमि मार्ग से 50,000 टन गेहूं भेजने का प्रस्ताव रखा है.