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अखिलेश ने समझाया 80 सीटों पर सपा की तैयारी का मर्म, कांग्रेस पर कहीं सख्‍त कहीं नरम

एक ओर कांग्रेस (Congress) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के बीच मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार में एक-दूसरे के प्रति तल्खी दिख रही है, वहीं यूपी में गठबंधन को लेकर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने नरम रवैया अपनाया है। हालांकि सपा और कांग्रेस दोनों कई मौकों पर 80 सीटों पर लड़ने की बात कह चुके हैं। अब अखिलेश यादव ने कहा कि 80 सीटों पर तैयारी करने से गठबंधन के दलों को ही फायदा होगा।

उन्होंने कहा कि हमारी तैयारी की सीट पर जब गठबंधन के प्रत्याशी लड़ेंगे तो गठबंधन की जीत आसान होगी। यूपी में 65 सीटें लड़ने की बात कहने के बाद सपा अब इस पर ज्यादा बोलने को तैयार नहीं है। जाहिर है ये उनकी रणनीति का हिस्‍सा है लेकिन जानकारों का कहना है कि ‘इंडिया’ गठबंधन पर यूपी में कांग्रेस और सपा दोनों को कई सवालों से जूझना होगा।

मध्य प्रदेश की चुनावी जंग में दोनों दलों के नेताओं के बयानों में जिस तरह की शब्‍दावली का इस्‍तेमाल किया गया है उससे उपजे सवालों का जवाब देना होगा। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मध्‍य प्रदेश में कहा है कि कांग्रेस बहुत चालाक और धोखेबाज पार्टी है जबकि कांग्रेस समाजवादी पार्टी को जातिवादी और परिवारवादी पार्टी के रूप में प्रचारित कर रही है। सपा, कांग्रेस के एक दूसरे के बारे में यह विचार आगे ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं। दोनों दलों को लोकसभा चुनाव में विरोधाभासी बातों का जवाब देना होगा। खासतौर पर यूपी में जब कांग्रेस और सपा ‘इंडिया’ गठबंधन के तहत मैदान में उतरेंगे।

सीटों के बटवारें को लेकर शुरू हुई जंग बीच में कांग्रेस नेतृत्व के दखल से थम तो गई थी लेकिन मध्य प्रदेश में चुनावी प्रचार के शबाब पर आते ही एक दूसरे पर प्रहार फिर बढ़ने लगे। यूं तो इस राज्य में भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। यहां बसपा, आम आदमी पार्टी समेत कई छोटे दल जोर आजमाइश करने जा रहे हैं लेकिन यहां 80 विधानसभा सीटों पर सपा के प्रत्याशियों की मौजदूगी कांग्रेस को खल रही है।

चुनावी रणनीतिकार मानते हैं कि चुनाव नतीजे आने के बाद एक बार फिर सपा कांग्रेस रिश्तों की परख होगी, अगर सपा कुछ सीटें निकालती है तो उसकी भूमिका अहम होगी खासतौर पर जब किसी को बहुमत न मिले। पिछले चुनाव में कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए कुछ विधायकों को इंतजाम करना था। उसकी शुरुआत सपा के एकमात्र विधायक के समर्थन से हुई थी। लोकसभा चुनाव में यूपी में जब सपा कांग्रेस ‘इंडिया’ गठबंधन की छतरी में जनता के सामने होंगे तो उन्हें भाजपा इनके इन्हीं बयानों पर घेरने का कोई मौका नहीं चूकेगी।