कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उपराष्ट्रपति सह राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को पत्र लिखा है। उन्होंने मुलाकात के निमंत्रण पर अपने जवाब में कहा, वह उनसे नहीं मिल पाएंगे क्योंकि वह इस समय दिल्ली से बाहर हैं।
सभापति धनखड़ को लिखे पत्र में खरगे ने कहा, सभापति सदन का संरक्षक होता है और उसे सदन की गरिमा बनाए रखने, संसदीय विशेषाधिकारों की रक्षा करने और संसद में बहस, चर्चा और उत्तर के माध्यम से अपनी सरकार को जवाबदेह रखने के लोगों के अधिकार की रक्षा करने में सबसे आगे रहना चाहिए।
खरगे ने राज्यसभा में विधेयकों पर पर्याप्त चर्चा न होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, यह बेहद दुखद है। इतिहास बिना बहस के पारित किए गए विधेयकों और सरकार से जवाबदेही की मांग न करने के लिए पीठासीन अधिकारियों का कठोरता से मूल्यांकन करेगा।
उन्होंने अपने पत्र में संसद की सुरक्षा में चूक मामले पर गृह मंत्री अमित शाह के बयान का भी जिक्र किया। खरगे ने कहा कि देश के गृह मंत्री चालू संसद सत्र के बावजूद एक टीवी चैनल पर ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर बयान देते हैं, लेकिन सदन में आकर बयान नहीं देते। यह दुर्भाग्यपूर्ण होने के साथ-साथ लोकतंत्र के मंदिर को अपवित्र करने जैसा कृत्य है। उन्होंने पूरी सरकार पर संसद की अवहेलना और उपेक्षा करने का आरोप लगाया।
सभापति धनखड़ को लिखे पत्र में खरगे ने कहा कि उनसे मिलना उनका सौभाग्य होगा। खरगे ने कहा कि सभापति के निमंत्रण पर मुलाकात करना उनका कर्तव्य है। दिल्ली लौटने के बाद वह उनकी सुविधा के मुताबिक मुलाकात करने का हरसंभव प्रयास करेंगे। उन्होंने नववर्ष 2024 की अग्रिम शुभकामनाएं भी दीं।
गौरतलब है कि संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार से जवाबदेही की मांग करने के दौरान सदन में अशोभनीय आचरण करने के आरोपी कुल 46 सांसदों को निलंबित किया गया। हंगामा, शोरशराबा और तख्तियां लहराने के आरोप में लोकसभा से भी 100 सांसदों को निलंबित किया गया। सभापति धनखड़ और कुछ सांसदों के बीच तीखी तकरार भी दिखी। इसके अलावा लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला ने भी वेल में घुसकर नारेबाजी करने और तख्तियां लहराने वाले सांसदों पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए सांसदों को पूरे सत्र से निलंबित कर दिया।