कृषि कानूनों (agricultural laws) के मुद्दे पर एकजुट होकर लड़ाई लड़ने वाले किसान (Farmer) अब विधानसभा चुनावों में ‘भागीदारी’ के मुद्दे पर दो फाड़ हो गए हैं. संयुक्त किसान मोर्चे (Samyukt Kisan Morcha) की सोमवार को हुई बैठक में किसानों के बीच मतभेद साफ नजर आए.
किसान नेता और स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा, ‘कुछ किसान नेताओं ने चुनाव में हिस्सा लेकर गलत काम किया. उनके साथ हम मंच शेयर नहीं कर सकते.जनता ने उन्हें सबक सिखा दिया है.’उन्होंने कहा कि मीटिंग में तीन बड़े फैसले हुए हैं. पहला ये कि सरकार ने हमें जो आश्वासन दिए थे केस वापस लेने और मुआवजे का, उसमें जो विश्वासघात हुआ है और लखीमपुर खीरी में जो खेल चल रहा है उसके खिलाफ 21 मार्च को सभी जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन होगा. इसके अलावा, 11 से 17 अप्रैल के बीच न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की लीगल गारंटी के बीच ‘एमएसपी सप्ताह’ मनाया जाएगा. तीसरा फैसला यह है कि 28 और 29 मार्च को, ट्रेड यूनियनों की तरफ से जो भारत बंद का कॉल दिया गया है, उसका हम समर्थन करेंगे.
उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM)ने विधानसभा चुनाव के पहले ये फैसला किया था कि हम जनता से अपील करेंगे कि बीजेपी को सज़ा दें. इसमें हमें कामयाबी तो मिली है लेकिन निर्णायक नहीं.