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मुसलमानों को हिरासत में लेने के लिए चीन ने बनाया तगड़ा प्लान! इस टैक्नोलॉजी से तैयार हो रही लिस्ट

चीन (China) में मुस्लिमों (Muslims) को निशाना बनाकर हिरासत में लेने की प्लानिंग चल रही है। इसके लिए बाकायदा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है और लिस्ट बनाई जा रही है। बता दें कि चीन में उइगर मुस्लिमों पर सबसे ज्यादा अत्याचार किया जाता है। चीनी सरकार भले ही मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों पर चुप्पी साधे रहती है लेकिन इसे झुठलाया नहीं जा सकता है। चीन के सिनजियांग प्रांत में करीब 10 लाख उइगर मुस्लिम रहते हैं। सालों से उइगर मुस्लिमों (Uighur Muslims) पर खूब अत्यायचार हो रहा है। अब टैक्नोलॉजी और डेटा का इस्तेमाल करके उइगर मुस्लिमों की लिस्ट बनाई जा रही है, ताकि उन्हें हिरासत में लिया जा सके।

न्यूयॉर्क के मानवाधिकार वॉच (HRW) के मुताबिक, कंप्यूटर प्रोग्राम एकीकृत संयुक्त ऑपरेशन प्लेटफॉर्म (IJOP) द्वारा डेटा का विश्लेषण करने से पता चला है कि चीन अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ चुनिंदा लोगों को हिरासत में लेने की तैयारी कर रहा है। इस रिपोर्ट को बुधवार को जारी की गई जिससे चीन की नापाक हरकत सामने आई।

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के सिनजियांग प्रांत में पुलिसिंग के लिए एक बड़ा डेटा प्रोग्राम मनमाने ढंग से संभावित हिरासत में लिए तुर्क मुसलमानों का चयन करता है। HRW को मिली अक्सू से 2 हजार से अधिक बंदियों की एक लीक सूची में मुस्लिम आबादी के दामन में चीन के टैक्नोलॉजी के इस्तेमाल किए जाने के सबूत हैं।

कंप्यूटर प्रोग्राम ऑटोमेटिक रूप से धार्मिक ग्रंथ के अध्ययन , धार्मिक कपड़े पहनने या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यात्रा आदि मापदंडों के आधार पर दूरस्थ क्षेत्र में स्थापित विवादास्पद शिविरों के लिए संभावित बंदियों की लिस्ट बनाता है। HRW के एक वरिष्ठ चीनी रिसर्चर माया वांग का कहना है कि अक्सू सूची चीन के झिंजियांग के तुर्क मुसलमानों के टैक्नोलॉजी के जरिए किए जा रहे क्रूर दमन के बारे में काफी कुछ बताता है।

बता दें कि, पिछले कुछ समय से चीन में उइगर मुसलमानों के साथ गलत व्यवहार अपनाया जा रहा है और ये अत्यायचार शी जिनपिंग की सरकार के आने से और बढ़ा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि चीन में 18 लाख उइगर मुसलमान हैं जिनमें से 10 लाख मुसलमानों को बंदी बनाया गया है। दुनिया के तमाम मुस्लिम देश चीन की इस क्रूरता पर टिप्पणी देने से बचते हैं, जबकि अन्य भारतीय मामलों में संयुक्त राष्ट्र से लेकर कई अरब देश आवाज उठाते हैं। ये सवाल वाकई गंभीर है कि आखिर क्यों मुस्लिम देश चीन की इस क्रूरता में उसका साथ दे रहे।