मद्रास हाई कोर्ट ने UIDAI को आंतरिक जांच कर यह पता लगाने के निर्देश दिए हैं कि आखिर बीजेपी को पुडुचेरी के वोटरों के मोबाइल नंबर कैसे मिले? गुरुवार को कोर्ट ने चुनाव आयोग और पुलिस को भी बीजेपी द्वारा चुनाव प्रचार में आधार नंबर इस्तेमाल करने के मामले की जांच जारी रखने को कहा. कोर्ट ने पुलिस और चुनाव आयोग से 6 सप्ताह बाद रिपोर्ट मांगी है. सुनवाई के दौरान बीजेपी ने दावा किया कि पार्टी के कार्यकर्ता डूर टू डूर कैंपेन करने पहुंचे थे इस दौरान उन लोगों ने वोटरों के फोन नंबर लिए. डीवाईएफआई के ए.आनंद की याचिका की पर उनका पक्ष रख रहे सीनियर वकील ने कोर्ट से मांग की कि चुनाव आयोग को बीजेपी की पार्टी इकाई को सस्पेंड कर देना चाहिए. उन्होंने बीजेपी पर चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया.
इससे पहले ए. आनंद ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि बीजेपी लोगों का आधार कार्ड की जनाकारियां इस्तेमाल कर व्हॉट्सएप के जरिए प्रचार कर रही है. शिकायत में यह भी कहा गया था कि सिर्फ उन्ही नंबरों पर बीजेपी का मैसेज आया था जो आधार कार्ड से लिंक है. कोर्ट ने कहा, ऐसे आरोप लगाए गए हैं कि जो नंबर आधार कार्ड से लिंक हैं उन्हीं पर बीजेपी के प्रचार वाले मैसेज गए हैं. ऐसे में UIDAI को भी उचित जवाब पेश करना चाहिए. चुनावी लाभ के इतर यह मामला लोगों की निजता में सेंधमारी का भी है. चुनावी माहौल में यह मुद्दा खोना नहीं चाहिए. लोकतंत्र में विश्वास बनाए रखने के लिए और निष्पक्ष चुनाव के लिए जिम्मेदार संस्थान इस मामले पर जवाब दें.
इंडिया टुडे से बातचीत के दौरान पुडुचेरी के बीजेपी प्रमुख राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि डीवाईएफआई के कार्यकर्ताओं का कोर्ट जाना और बीजेपी पर आरोप लगाना साजिश का हिस्सा है. ये उन लोगों की साजिश है जो लोग बीजेपी से लड़ नहीं पा रहे हैं. राहुल गांधी ने साल 2017-2018 में यही थ्योरी अपनाई थी. बीजेपी तकनीक का इस्तेमाल कर लोगों तक संदेश पहुंचाना जानती है. हम केवल वही काम कर रहे हैं जो लीगल है.