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नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने मुद्रास्फीतिजनित मंदी को लेकर कही ये बड़ी बात

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने रविवार को कहा कि भारत एक बड़ी आर्थिक रिकवरी के मुहाने पर है और संभावित मुद्रास्फीतिजनित मंदी की बातचीत को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले सात वर्षों में सरकार द्वारा किए गए सुधारों के साथ एक मजबूत आर्थिक नींव रखी जा रही है.

कुमार ने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को भी प्रभावित करने वाले रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद यह बात बिलकुल स्पष्ट है कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा.

आर्थिक विकास में वृद्धि के लिए नींव
राजीव कुमार ने एक साक्षात्कार में कहा, “पिछले सात वर्षों में किए गए सभी सुधारों, संभवत: कोविड-19 का अंत और इस वित्त वर्ष में जो हमें 7.8 प्रतिशत की विकास दर मिलेगी इस बात की समर्थक है कि आगामी वर्षों में आर्थिक विकास में और तेजी से वृद्धि के लिए एक बहुत मजबूत नींव रखी जा रही है. उन्होंने कहा, “इसलिए, मुझे लगता है कि भारत एक बड़ी आर्थिक रिकवरी और आर्थिक विकास के मुहाने पर है.” कुमार ने यह स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत के जीडीपी विकास अनुमान को संशोधित किया जा सकता है. हालांकि, तब भी उनका विश्वास है कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा.

मुद्रास्फीतिजनित मंदी को बढ़ा-चढ़ाकर बताया जा रहा
बकौल कुमार, “मुझे यकीन है कि आरबीआई इस मुद्रास्फीति पर अच्छी तरह से नियंत्रण कर रहा है और जरूरत पड़ने पर जरूरी कदम उठाएगा.” उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के इस वित्त वर्ष में 7.8 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है और ये कहीं से भी मुद्रास्फीतिजनित मंदी की ओर इशारा नहीं करता.” उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है, क्योंकि जब आप मुद्रास्फीति की दर के बारे में बात करते हैं, तो हम ऐसी विकास दर के बारे में बात करते हैं जो आपकी विकास दर या संभावित उत्पादन से काफी नीचे है. जो मौजूदा परिस्थिति के लिए सटीक नहीं है.”

गौतलब है कि खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में आठ महीने के उच्च स्तर 6.07 प्रतिशत पर पहुंच गई जो लगातार दूसरे महीने आरबीआई के तय स्तर से ऊपर रही. वहीं, कच्चे तेल और गैर-खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेज़ी से थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 13.11 फीसदी हो गई. आरबीआई अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति पर निर्णय लेते समय उपभोक्ता मूल्य आधारित सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को काफी महत्व देता है.