अफगानिस्तान में तालिबानियों की ताकत कई गुना बढ़ चुकी है. अफगान सेना के सरेंडर कर देने के बाद से तालिबान ने पूरे देश पर अपना कब्जा जमा लिया है और अब वो दहशतगर्दी फैलाने का काम कर रहा है. लेकिन इस बीच एक और चिंता की खबर सामने आई है. तालिबानियों के हाथ अमेरिकी हथियार लग गए हैं. वो हथियार जो अत्याधुनिक के साथ-साथ काफी खतरनाक भी हैं. ये खुलासा अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी की एक चिट्ठी के जरिए हुआ है. कई रिपब्लिकन सीनेटर्स ने बाइडेन प्रशासन को एक चिट्ठी लिखी है. उस चिट्ठी में कहा गया है कि तालिबान के हाथ अमेरिका के हथियार लग गए हैं. इन हथियारों में UH-60 Black Hawks भी शामिल है. ऐसे में इस लापरवाही के लिए अब बाइडेन प्रशासन की जवाबदेही तय करने की मांग उठ रही है.
चिट्ठी में लिखा गया है कि ये हैरान कर देने वाली बात है कि एक हाई टेक मिलिट्री हथियार जिसे अमेरिकी लोगों के पैसों से खरीदा गया है, वो आज तालिबान और उसके आतंकी संगठनों के हाथ लग गया है. उन हथियारों को सुरक्षित रखना सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए थी. जवानों को वापस बुलाने से पहले हथियारों को अपने पास रखना जरूरी था. अब क्योंकि ये लापरवाही हो गई है, ऐसे में रिपब्लिकन पार्टी ने बाइडेन प्रशासन से पूरा ब्योरा मांगा है. जानने का प्रयास है कि पिछले साल से अफगान सेना को कितने अमेरिकी हथियार दिए गए हैं.
चिट्ठी में इस बात पर चिंता भी जाहिर की गई है कि अब इन हथियारों के इस्तेमाल के लिए तालिबान द्वारा पाकिस्तान, चीन या फिर रूस से मदद मांगी जा सकती है. जोर देकर कहा गया है कि तालिबानियों के पास इतनी अकल नहीं कि वे खुद इन हथियारों का इस्तेमाल कर सकें, ऐसे में इन देशों से मदद मांग सकते हैं. इसी वजह से अब ये मुद्दा अमेरिका की राजनीति में काफी बड़ा बन गया है. पहले से ही पूरी दुनिया के निशाने पर आ गए राष्ट्रपति बाइडेन को अब इस विवाद ने भी घेर लिया है. अभी तक उनकी तरफ से इस लापरवाही पर कोई सफाई पेश नहीं की गई है.