भाग दौड़ भरी जिंदगी के अलावा भी हमारे जीवन में कई ऐसी चीजे हैं जिस पर हम गौर ही नहीं करते. लेकिन कई बार किताबी ज्ञान जब हमारे सामने सच्चाई बनकर पेश होती है, तो हमारे होश उड़ जाते हैं. ऐसी ही कुछ बातें हमारी धरती से करीब 62.83 करोड़ किलोमीटर दूर ग्रह से जुड़ी हैं. जहां पर 400 से ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी हर दिन फटते हैं. वैसे अगर हम धरती की बात करें तो यहां पर 1500 ऐसे सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जो कभी-कभी फटते हैं. लेकिन आपको ये जानकारी हैरानी होगी कि जहां हर रोज ज्वालामुखी फटता है, वहां लावा की नदियां और नहरें बहती हैं. कहा जाता है कि ये ग्रह हमारे सौर मंडल सबसे ज्यादा क्रियात्मक ग्रह है. इस बात से आप ये अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां हमेशा ही जमीन के अंदर हलचल मची रहती है.
दिलचस्प बात तो ये है कि इस ग्रह नाम आयो (IO) बताया जाता है. दरअसल ये ग्रह सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति का सबसे बड़ा चंद्रमा है. खास बात ये है कि ये ग्रह बृहस्पति के चारों तरफ 4.23 लाख किलोमीटर की दूरी पर चक्कर लगाता रहता है. कहते हैं कि ये हमारी धरती के चांद से थोड़ा सा बड़ा है. जानकारी के मुताबिक आयो धरती के मुकाबले एक दिन 32 घंटे के बराबर होता है.इस ग्रह की जमीन की ऊपरी सतह काफी दलदली है, और इसके पीछे की वजह लावा है जो कभी भी फूट जाता है और नदी की तरह बहने लगता है. कहते हैं कि अक्सर सतह परिवर्तन होता रहता है. आप इस नासा की तरफ से जारी की गई तस्वीर में देख सकते हैं कि कैसे बाएं हिस्से में गर्म लावा की नदी बहती हुई दिखाई दे रही है.
बताया जाता है कि इस ग्रह की पहली खोज 410 साल पहले गैलीलियो गैलिली के द्वारा की गई थी. जिन्होंने 8 जनवरी साल 1610 में बृहस्पति ग्रह के चारों तरफ आयो के साथ ही तीन और चंद्रमाओं की भी बड़ी खोज की थी. इनमें आयो, यूरोपा, गैनीमेडे और कैलिस्टो का नाम शामिल है.ये तस्वीरें फोटो यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में रखी गैलीलियो के उन्हीं दस्तावेज की हैं, जिसमें बृहस्पति ग्रह के चारों चंद्रमाओं के बारे में जानकारी दी गई है.
आपको बता दें कि ये एक ऐसा ग्रह है, जिस पर मनुष्य का जीवन नहीं जिया जा सकता. क्योंकि यहां का तापमान इतना तेज होता है कि हर दिन ज्वालामुखी से निकलने वाले लावे की वजह से सल्फर डाइऑक्साइड गैस ग्रह के चारों तरफ घना बादल बना लेता है. इतना ही नहीं बताया जाता है कि कई बार तो ये सल्फर डाइऑक्साइड का गुबार अंतरिक्ष में 200 किलोमीटर तक दूर चला जाता है.जानकारी के अनुसार इस ग्रह के सबसे बड़े ज्वालामुखी का नाम है लोकी पटेरा है. जिसका फैलाव 202 किलोमीटर तक है. ये जानकारी आपको हैरानी होगी कि अकेला यही एक ऐसा ज्वालामुखी है जो आयो की गर्मी का 25 फीसदी हिस्सा पैदा करता है. यही कारण है कि एक बहुत बड़े क्षेत्र में लावा की झीलें बन गई हैं, और अब तो लावा की नदियों का प्रवाह होता है.
खास बात तो ये है कि कई बार आयो ग्रह पर ज्वालामुखी इतनी गति से फटता है कि इसे बड़ी स्पेस दूरबीन की मदद से भी देखा जा सकता है. कहते हैं कि धरती से आयो पर रोशनी भेजने में करीब 40.23 मिनट का समय लगता है. ये जानकार भी आपको आश्चर्य होगा कि यहां की धरती पर गुरुत्वाकर्षण इतनी कम है कि यहां पर इंसान जाए तो वह चलेगा नहीं बल्कि उड़ेगा.बता दें कि आयो के ज्वालामुखियों से जुड़ी जानकारी सबसे पहले 1979 में मिली थी. इसके बाद से ही वहां पर कई सैटेलाइट्स के द्वारा अध्ययन किया गया है. जिसमें उलीसिस, कैसिनी, न्यू होराइजंस, जूनो, वॉयजर, पायोनियर और गैलीलियो स्पेसक्राफ्ट का नाम शामिल है.