लंबे समय से चल रहे भारत-चीन सीमा विवाद (India-China border dispute) पर चीनी दूतावास (Chinese Embassy) से बयान आया है। दूतावास में प्रभारी राजदूत मा जिया (Ma Jia) ने कहा कि भारत-चीन बॉर्डर (India-China border dispute) से उपजी कठिनाइयों का सामना करना होगा, किन्तु दोनों में से कोई भी देश युद्ध या टकराव नहीं चाहता है।
चीनी राजदूत मा जिया ने यहां मीडिया ब्रीफिंग में सीमावर्ती क्षेत्रों के हालात को ‘बहुत जटिल’ बताते हुए कहा कि यह विवाद एक द्विपक्षीय मुद्दा है, जिसमें विदेशी हस्तक्षेप से समस्याओं को हल करने में मदद नहीं मिलेगी।
भारत में चीन की प्रभारी राजदूत मा जिया ने दोनों देशों के बीच संबंधों को लेकर बड़ा बयान दिया है। मा जिया ने बुधवार को कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के लद्दाख सेक्टर में कुछ परिस्थितियों के कारण भारत-चीन संबंध कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, लेकिन कोई भी पक्ष युद्ध या टकराव नहीं चाहता है।दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए, मा जिया ने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दा एक द्विपक्षीय मुद्दा है। दोनों देशों के पास इस मुद्दे को हल करने की अपनी-अपनी समझ है। हम इसे संभाल सकते हैं। हम किसी अन्य (देश) को इसमें हस्तक्षेप करने के लिए आमंत्रित नहीं कर रहे हैं।
दरअसल, चीनी दूत का इशारा अमेरिका की तरफ था। अमेरिका ने हाल ही में एक प्रस्ताव पास कर कहा था कि अमेरिका मैकमाहन रेखा को अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा के तौर पर मान्यता देता है।
अमेरिका पर निशाना साधते हुए चीनी दूत ने कहा कि भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय विवाद है। विदेशी हस्तक्षेप से किसी मुद्दे को हल करने में मदद नहीं मिलती। अक्सर द्विपक्षीय विवाद में हस्तक्षेप होता है, लेकिन इसके विपरीत, यह दोनों पक्षों को समस्याओं को हल करने में मदद नहीं करता है।
हाल के अपने कई बयानों में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर साफ कह चुके हैं कि भारत-चीन सीमा पर स्थिति नाजुक है। जयशंकर के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी दूत ने कहाजयशंकर का कहना है कि स्थिति अब नाजुक है, इसी को लेकर तो हम कह रहे हैं। इसी को लेकर वरिष्ठ कमांडर और राजनयिक बात कर रहे हैं। कुछ मुश्किलें हैं, हमें उनका सामना करना होगा।
इसके अलावा, मा जिया ने कहा कि चीन और भारत युद्ध नहीं चाहते हैं। हम में से कोई भी युद्ध नहीं चाहता है। हम दोनों में से कोई भी सीमावर्ती क्षेत्रों में टकराव नहीं चाहता है। इसलिए मुझे लगता है कि जब तक हमारे इरादे इस तरह के हैं, तो हम अपनी समझ के तहत रास्ता खोज सकते हैं। हां कुछ कठिनाइयां हैं। सीमा का मुद्दा बहुत जटिल है। इसमें कई वर्षों का इतिहास बसा हुआ है इसलिए किसी समझौते पर पहुंचना आसान नहीं है। हमें समस्या का सामना करना होगा। हमें बात करनी होगी दोनों पक्षों का इरादा स्थिति में सुधार करना है। हमारे दोनों नेताओं की इस पर सहमति है। हम कोई रास्ता निकाल सकते हैं।
चीन द्वारा सीमा पर भारी मात्रा में बुनियादी ढांचे बनाने को लेकर टिप्पणी करते हुए चीनी दूत ने कहा कि एक सरकार के रूप में यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे नागरिक और सैन्य उद्देश्यों के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण करें। देशों में आपसी विश्वास होना चाहिए और इस विश्वास को बनाने के लिए चैनल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय पक्ष भी पिछले कुछ वर्षों में बड़े बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है।
चाइनीज चार्ज डी’अफेयर्स मा जिया ने आपसी विश्वास को एक “महत्वपूर्ण चीज” कहा। दूत ने कहा, “महत्वपूर्ण बात आपसी विश्वास है, अगर हमारे पास चैनलों को सुचारू रखने के लिए कूटनीतिक और सैन्य चैनल हैं और एक दूसरे को समझाते हैं कि इसका क्या इरादा है, तो यह दोनों पक्षों के बीच आपसी विश्वास बढ़ाने में सहायक होगा, विशेष रूप से दो सेनाओं के बीच।”